चालन संवहन और विकिरण को अपने परिवेश में udaharn देते हुए antar sapst kijiye
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चालन द्वारा ऊष्मा पदार्थ के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पदार्थ के कणों के द्वारा अपना स्थान छोड़े बिना ही संचालित हो जाती है आपने देखा होगा कि धातु की एक एक सिरे को गर्म करने पर दूसरा सिरा भी शीघ्र गर्म हो गया गर्म होने होने पर छड़ के उस भाग के कणों में कंपन अता बढ़ जाती है और उसमें उसमें ऊर्जा बढ़ जाती है कम पर कम्मा कंपन करने वाले यह अनु अपने अपने से आगे वाले अणुओं को में ऊर्जा स्थानांतरण कर करते रहते हैं ठोस पदार्थों में ऊष्मा का संचरण केवल इसी प्रकार संभव है विकिरण प्रकाश की ही तरह ऊष्मा का भी संचरण निर्धारित में हो सकता है विक्रम द्वारा ऊष्मा प्रकाश की चाल से ही सरल रेखा में संचारित होती है किसी भी गर्म वस्तुओं में से उस्मा सभी बराबर संचारित होती है यह देखने के लिए एक बल्ब बल्ब लालटेन लैंप अथवा दिए के आसपास अपना हाथ रख कर देखें चारों ओर आपको समान गर्माहट महसूस होगी संवहन लास्ट में द्रव लेकर गर्म करने पर पेंदी का द्रव्य शीघ्र गर्म हो जाता है और हल्का होकर ऊपर की ओर उठता है इसका स्थान ऊपर का भारी जब ले लेता है यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक सारे द्रव का तापमान सम्मान नहीं हो जाता इस प्रकार संवहन धाराएं चलने लगती है पैसों व द्रव्य में ऊष्मा का संचरण इसी प्रकार होता है
Note - Apne science ke pustk mae page no 35,36,37 mae deke Iska answer aur bhi spast rup se mile ga