चालन संवहन और विकरण को अपने परिवेश के उदाहरण से समझाते हुए दो अंतर
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- जब किसी वस्तु का तापमान उसके परिवेश या अन्य वस्तु की अपेक्षा भिन्न होता है तो ताप ऊर्जा का संचार जिसे ताप का बहाव या ताप का विनिमय भी कहते हैं, इस तरह से होता है कि वह वस्तु और उसका परिवेश ऊष्म-साम्यता ग्रहण कर लेते हैं; इसका मतलब है कि दोनों का तापमान समान हो जाता है। ऊष्मप्रवैगिकी के द्वितीय नियम या क्लॉज़ियस के कथन के अनुसार ऊष्मा का संचार हमेशा अधिक गर्म वस्तु से अधिक ठंडी वस्तु की ओर होता है। जहां कहीं भी पास-पास स्थित वस्तुओं में तापमान की भिन्नता होती है, उनके बीच ऊष्मा के संचार को कभी रोका नहीं जा सकता; इसे केवल कम किया जा सकता है।
- ताप ऊर्जा के किसी रिक्त स्थान में संचार को विकिरण कहते है। परम शून्य के ऊपर के तापमान वाली सभी वस्तुएं उनकी प्रवाहकता गुणा यदि वे कोई काले रंग की वस्तु हों तो उनमें से ऊर्जा के विकिरित होने की दर के बराबर ऊर्जा का विकिरण करती हैं। विकिरण के लिये किसी माध्यम की जरूरत नहीं है क्यौंकि इसका संचार विद्युतचुम्बकीय तरंगों द्वारा होता है; विकिरण पूर्ण निर्वात में भी कार्य करता है। सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी को गर्म करने के पहले अंतरिक्ष के निर्वात में से गुजरती है।
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