चुनांचे एक बिल्ली लाई गई । उसकी खूब खातिर होने लगी । कभी
बच्चे दूध पिलाते, कभी रोटी देते । उसने विधिपूर्वक चूहों का सफाया शुरू
कर दिया। देखते-ही-देखते चूहे घर से गायब हो गए। सब लोग बड़े खुश
हए। दिल्ली प्रायः सब लोगों की थाली से जूठन ही खाती इसलिए हम
इसका कोई खर्च भी नहीं पड़ा। दो महीने बाद वह समय आ गया जब हम
चूहा का तो भूल गए और बिल्ली से तंग आ गए। हमने सोचा चहे ती खाली
अनाज ही खाते थे, कम-से-कम परेशान तो नहीं करते थे। यह बिल्ली
खाने में भी कम नहीं और हमें तंग भी करती रहती है। उसके प्रति हमारा
व्यवहार बदल गया।
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