Environmental Sciences, asked by sufisiddique7003, 8 months ago

चीनी का दाना जल में घुल जाने पर दिखाई नहीं देता किस-किस परीक्षा द्वारा यह बताया जा सकता है कि चीनी का अनूप जेल में ही है खो नहीं गया​

Answers

Answered by priya41887655
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Explanation:

चीनी (शर्करा) कार्बनिक यौगिकों का एक वर्ग 'कार्बोहाइड्रेट' है। कार्बोहाइड्रेटों के एक समूह के यौगिकों को शर्करा कहते हैं। कुछ शर्कराएँ प्रकृति में पाई जाती हैं और कुछ संश्लेषण से प्रयोगशालाओं में तैयार हुई हैं। शर्कराएँ उदासीन यौगिक हैं। पानी में जल्द घुल जातीं, एलकोहल में कठिनता से घुलतीं और ईथर में बिल्कुल घुलती नहीं हैं। गरम करने से ये भूरी होकर झुलस जाती हैं। जलने पर विशेष प्रकार की गंध देती हैं, जिसे 'जली शर्करा की गंध' कहते हैं। शर्कराएँ प्रकाशसक्रिय होती हैं। प्रत्येक शर्करा का अपना विशिष्ट घूर्णन होता है।

कुछ शर्कराएँ फेलिंग विलयन का अवकरण करतीं, कुछ फेनिल हाइड्रेजिन से अविलेय मणिभीय ओसोज़ीन बनती और कुछ किण्वन क्रिया देती हैं जिनसे शर्कराओं को पहचानने में सहायता मिलती है।

वैज्ञानिकों ने शर्कराओं को तीन वर्गो में विभक्त किया है। एक वर्ग की शर्कराओं को 'मोनो-सैकराइड', दूसरे वर्ग की शर्कराओं को 'डाइ-सैक्राइड' और तीसरे वर्ग की शर्कराओं को 'ट्राइ-सैकराइड' कहते हैं। इनमें 'डाइ-सैकराइड' अधिक महतव के हैं। प्रथम वर्ग की शर्कराओं में द्राक्षशर्करा (glucose) और फलशर्करा (fructose), दूसरे वर्ग की शर्कराओं में ईक्षुशर्करा (चीनी; sucrose), दुग्धशर्करा (lactose) और माल्ट शर्करा हैं। तीसरे वर्ग की शर्कराओं में स्टार्च और सैलूलोज हैं। (देखें कार्बोहाइड्रेट)

Answered by umarmir15
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Answer:

जब चीनी को पानी में घोला जाता है तो आयतन में कोई वृद्धि नहीं होती है क्योंकि चीनी के अणु पानी के अणुओं से घिरे होते हैं। चीनी के अणु पानी के अणुओं के बीच की जगह घेर लेते हैं। बेनेडिक्ट के घोल का उपयोग ग्लूकोज जैसे साधारण शर्करा के परीक्षण के लिए किया जाता है

Explanation:

बेनेडिक्ट के घोल का उपयोग ग्लूकोज जैसे साधारण शर्करा के परीक्षण के लिए किया जाता है। यह सोडियम और तांबे के लवण का एक स्पष्ट नीला घोल है। साधारण शर्करा की उपस्थिति में, नीला घोल चीनी की मात्रा के आधार पर रंग बदलकर हरा, पीला और ईंट-लाल हो जाता है।

जब चीनी पानी में घुल जाती है तो यह दिखाई नहीं देती है क्योंकि चीनी के कणों ने पानी के कणों के बीच की जगह को भर दिया है।

चूंकि तरल पदार्थों में इंट्रामोल्युलर बल ठोस से कम होते हैं इसलिए चीनी के कण पानी के अणुओं के बीच रिक्त स्थान में मिल जाते हैं

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