चुनौतियां बच्चों को परिपक्व बना देती है
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✎... चुनौतियां बच्चों को परिपक्व बना देती है। यह बात बिल्कुल सही है। ‘ईदगाह’ पाठ के आधार पर अगर हम कहें तो हम देखेंगे कि हामिद जो मात्र साथ 8 वर्ष का बालक हैष लेकिन उसके अंदर किसी परिपक्व वयस्क जितनी समझदारी है, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उसे जीवन चुनौतियां, अभाव और संघर्ष थे। उसकी केवल एक बूढ़ी दादी थी जो उसके लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाती थीस इस कारण वह अभावों में और चुनौतियों में जियाष इन सब बातों ने उसके अंदर उसे समय से पहले परिपक्व बना दिया।
मनुष्य जब संघर्षों का सामना करता है तो वह अधिक मजबूत होता है। जो लोग सुख सुविधा में जीते हैं वह किसी विपत्ति संकट की घड़ी में जल्दी हार मान सकते हैं जबकि अभावों और संघर्षों में जिया व्यक्ति किसी विपत्ति संकट की घड़ी में जल्दी हार नहीं मानेगा।
इसलिए स्पष्ट है कि चुनौतियां बच्चों को परिपक्व बना देती हैं। जैसा हामिद के मामले में हुआ। जहाँ उसका बचपन बच्चों की तरह खिलौने खेलते बीतना चाहिए था, लेकिन अभाव और संघर्ष ने उसको समय से परिपक्व बना दिया और वह उन बातों को सोचने लगा जो एक समझदार व्यक्ति सोचता है। जैसे खुद के लिये खिलौने खरीदने की जगह उसने अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदना आदि। किसी 8 वर्ष के बालक से इतनी समझदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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