चिन्तनीया हि विपदाम् आदावेव प्रतिक्रियाः ।
न कूपखननं युक्तं प्रदीप्ते वह्निना गृहे ।।7।।
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जिस प्रकार से घर में आग लग जाने पर कुँआ खोदना आरम्भ करना युक्तिपूर्ण (सही) कार्य नहीं है उसी प्रकार से विपत्ति के आ जाने पर चिन्तित होना भी उपयुक्त कार्य नहीं है। (किसी भी प्रकार की विपत्ति से निबटने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।)
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