चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने के आधार क्या है? ?
Answers
Answer:
चुनाव लोकतंत्र का आधार है: चुनाव के बिना लोकतंत्र की परिकल्पना भी नही की जा सकती है, एक तरह से लोकतंत्र और चुनाव को एक-दूसरे का पूरक माना जा सकता है। चुनावों में अपने मतदान की शक्ति का प्रयोग करके एक नागरिक कई बड़े परिवर्तन ला सकता है और इसी के कारण लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को उन्नति का समान अवसर प्राप्त होता है।,लोकतंत्र में चुनाव का बहुत ज्यादा महत्व है।
लोग सोचतें हैं, क्यों वोट करें? पर हम वोट देकर हम अपने देश या समाज के लिए एक सही नेता के चुनाव में मदकर सकतें हैं। हाँ यदि आप वोट नहीं देतें हैं, तो कोई भ्रष्टाचारी नेता चुन लिया जाता है, तो कही ना कही आपकी भी गलती भी होगी। हमें यह मौका मिलता है, कि हम सही नेता चुनाव करें। इसलिए सजग, अपने अधिकार का सदुपयोग कर, सोच समझ कर अपने वोट का उपयोग करें और आप एक जागरूक नागरिक है, उसका परिचय दें।
लोकतंत्र में अब प्राय: सारी राजनीतिक गतिविधियां वोटों के गणित पर ही आधारित होकर संचालित होने लगी है। लोक-हित की बात पीछे छूट गई है। अब अक्सर चतुर-चालाक राजनीतिज्ञ जनता का मत चुनाव के अवसर पर पाने के लिए अनेक प्रकार के झांसा दिखाया करते हैं।
जनता को तरह-तरह के आश्वासन और झांसे भी दिया करते हैं। अब यह मतदाता पर निर्भर करता है कि वह उनके सफेद झांसे में आता है कि नहीं। इससे इस परंपरा की एक सीमा भी कहा जा सकता है। फिर भी निश्चय ही आज का मतदाता बड़ा ही जागरुक, सजग और सावधान है। वह लोकतंत्र और चुनाव दोनों का अर्थ और महत्व भली प्रकार समझता है। अत: चुनाव के अवसर पर वह सही व्यक्ति को वोट देकर लोकतंत्र की रक्षा कर, उसके जन-हित व विकास में भी सहायता पहुंचा सकता है।
अत: चुनाव के समय की घोषणाओं को उसे सामने नहीं रखना चाहिए, बल्कि नीर-क्षीर विवेक से काम लेकर, उपयुक्त, ईमानदार और जन-हित के लिए प्रतिबद्ध व्यक्ति के पक्ष में ही मतदान करना चाहिए। तभी सच्चे अर्थों में वास्तविक लोकतंत्र की रक्षा संभव हो सकती है।लोकतन्त्र को जनतन्त्र भी कहते हैं; क्योंकि जनता के चुनाव के द्वारा ही यह तन्त्र बनता है । इसलिए बिना चुनाव का जो तन्त्र होता है । वह लोकतन्त्र या जनतन्त्र न होकर राजतन्त्र बन जाता है । इस प्रकार से लोकतन्त्र जनता का प्रतिनिधि तन्त्र है ।इसमें समस्त जन समुदाय की सद्भावना और सद्विचार प्रकट होता है ।
इसमें चुनाव का महत्त्व सर्वप्रथम और सर्वाधिक है ।लोकतन्त्र अर्थात् जन प्रतिनिधि एक ऐसा तंत्र है, जिसमें जनकल्याण की भावना से सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं । जनकल्याण की भावना एक-एक करके इस शासन तन्त्र के द्वारा हमारे सामने कार्य रूप में दिखाई पड़ने लगती है ।लोकतन्त्र का महत्त्व इस दृष्टि से भी होता है कि लोकतन्त्र में सबकी भावनाओं का सम्मान होता है और सबको अपनी भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से प्रकट करने का पूरा अवसर मिलता है । इसी प्रकार किसी भी तानाशाही का लोकतन्त्र करारा जबाव देता है ।
Answer:
hope usefully plz makes brilliant
![](https://hi-static.z-dn.net/files/dd4/530d9659490f5413ab05e63accaba916.jpg)