चुनाव के पूर्व एक नेता और मतदाता के बीच संवाद को लीखिए
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मतदाता--प्रणाम नेताजी कैसे हैं?
नेताजी-- प्रणाम मैं तो ठीक हूं। तुम बताओ क्या काम है?
मतदाता-- नेताजी, हमारे घर के सामने की सड़क बहुत ऊबर खाबड़ है। मैं कई महीनों से पत्र लिखकर जमा किया । लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
नेताजी-- अच्छा चुनाव के बाद मैं तुम्हारे इस काम पर गौर करूंगा। तुम बस मुझको वोट देना।
मतदाता-- आप हर बार झूठ बोलकर वोट लेने आते हैं । फिर पांच साल बाद याद करते हैं।
नेताजी-- देखो हमारे पास एक तो काम होता नहीं है। इसलिए देर होती है। इस बार तुम्हारा काम अवश्य होगा।
मतदाता-- इस बार भी तो आप मंत्री पद में है
आप काम करेंगे तो वोट मिलेगा आपको। नहीं तो नहीं।
नेताजी--तुम अपनी औकात में रहो समझे और निकलो यहां से।
मतदाता--मैं तो जा रहा हूं बस कुछ दिनों में आप भी चले जाएंगे तब आपसे मुलाकात होगी मेरी। तब आपको मैं अपनी औकात बताऊंगा। मैं वही हूं जो आप जैसे लोगो को जितवाता हूं और हराया भी हूं।
नेताजी-- प्रणाम मैं तो ठीक हूं। तुम बताओ क्या काम है?
मतदाता-- नेताजी, हमारे घर के सामने की सड़क बहुत ऊबर खाबड़ है। मैं कई महीनों से पत्र लिखकर जमा किया । लेकिन कोई जवाब नहीं आया।
नेताजी-- अच्छा चुनाव के बाद मैं तुम्हारे इस काम पर गौर करूंगा। तुम बस मुझको वोट देना।
मतदाता-- आप हर बार झूठ बोलकर वोट लेने आते हैं । फिर पांच साल बाद याद करते हैं।
नेताजी-- देखो हमारे पास एक तो काम होता नहीं है। इसलिए देर होती है। इस बार तुम्हारा काम अवश्य होगा।
मतदाता-- इस बार भी तो आप मंत्री पद में है
आप काम करेंगे तो वोट मिलेगा आपको। नहीं तो नहीं।
नेताजी--तुम अपनी औकात में रहो समझे और निकलो यहां से।
मतदाता--मैं तो जा रहा हूं बस कुछ दिनों में आप भी चले जाएंगे तब आपसे मुलाकात होगी मेरी। तब आपको मैं अपनी औकात बताऊंगा। मैं वही हूं जो आप जैसे लोगो को जितवाता हूं और हराया भी हूं।
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