History, asked by sumansumansain364, 10 months ago

चीनी विदेशी यात्रियों में भारत के बारे में क्या जानकारी प्रदान की?​

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Answered by rajmandwal72
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Answer:

भारत में कई विदेशी यात्री भ्रमण करने आये उन्होंने यहाँ पर कई राजाओं के दरबार में रहकर उनकी शासन व्यवस्था के बारे में देखा तथा उसे समझा । इन सभी अनुभवों को उन्होंने लिखा जिसे आज हम पढते हैं।ऐसे ही विदेशी यात्रियों में से मेगस्थनीज भी एक विदेशी यात्री था जिसके बारे में हम पढेंगे।यह एक यूनानी यात्री था।

मेगस्थनीज –

 यह सेल्युकस निकेटर का राजदूत था ,जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था । इसको 305ई.पू. में यूनान और भारत के मध्य हुई संधि के तहत भारत आना पङा था। अपनी पुस्तक इण्डिका में मौर्ययुगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है।

इसने अपनी पुस्तक में पाटलीपुत्र को सबसे बङा नगर बताया है। तथा राजा के राजप्रासाद का भी बङा ही सजीव वर्णन किया है ।

मेगस्थनीज ने वर्णन किया है कि उस समय राज्य में शांति थी लोगों को घरों में चोरी का कोई डर नहीं था। तथा यह बताता है कि राजा का जीवन बङा ही एश्वर्यमय था।

परीक्षा में पूछे जाने वाली महत्त्वपूर्ण बात-    मेगस्थनीज- (304-299 ई.पू.)- मेगस्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनानी सम्राट सेल्यूकस के राजदूत के रूप में आया था।

Answered by Anonymous
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Answer:

चीनी विदेशी यात्रियों बौद्ध मतानुयायी थे, और वे इस धर्म के विषय में कुछ जानकारी के लिए ही भारत आये थे।

Explanation:

चीनी लेखकों के विवरण से भी भारतीय इतिहास पर प्रचुर प्रभाव पड़ता है। सभी चीनी लेखक यात्री बौद्ध मतानुयायी थे, और वे इस धर्म के विषय में कुछ जानकारी के लिए ही भारत आये थे। चीनी बौद्ध यात्रियों में से प्रमुख थे- फाह्यान, ह्वेनसांग, इत्सिंग, मल्वानलिन, चाऊ-जू-कुआ आदि।  

फाह्यान  : फाह्यान का जन्म चीन के 'वु-वंग' नामक स्थान पर हुआ था। यह बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने लगभग 399 ई. में अपने कुछ मित्रों 'हुई-चिंग', 'ताओंचेंग', 'हुई-मिंग', 'हुईवेई' के साथ भारत यात्रा प्रारम्भ की। फाह्यान की भारत यात्रा का उदेश्य बौद्ध हस्तलिपियों एवं बौद्ध स्मृतियों को खोजना था। इसीलिए फ़ाह्यान ने उन्हीं स्थानों के भ्रमण को महत्त्व दिया, जो बौद्ध धर्म से सम्बन्धित थे।  

ह्वेनसांग  : ह्वेनसांग कन्नौज के राजा हर्षवर्धन (606-47ई.) के शासनकाल में भारत आया था। इसने क़रीब 10 वर्षों तक भारत में भ्रमण किया। उसने 6 वर्षों तक नालन्दा विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उसकी भारत यात्रा का वृत्तांत 'सी-यू-की' नामक ग्रंथ से जाना जाता है, जिसमें लगभग 138 देशों के यात्रा विवरण का ज़िक्र मिलता है। 'हूली', ह्वेनसांग का मित्र था, जिसने ह्वेनसांग की जीवनी लिखी। इस जीवनी में उसने तत्कालीन भारत पर भी प्रकाश डाला। चीनी यात्रियों में सर्वाधिक महत्व ह्वेनसांग का ही है। उसे 'प्रिंस ऑफ़ पिलग्रिम्स' अर्थात् 'यात्रियों का राजकुमार' कहा जाता है।  

इत्सिंग  : इत्सिंग 613-715 ई. के समय भारत आया था। उसने नालन्दा एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा उस समय के भारत पर प्रकाश डाला है। 'मत्वालिन' ने हर्ष के पूर्व अभियान एवं 'चाऊ-जू-कुआ' ने चोल कालीन इतिहास पर प्रकाश डाला है।

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