Hindi, asked by thehacker29, 11 months ago

चौपाई:-

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।
तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।।
कोरोना के पालन कर्ता।
मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।।

कोई मुल्क नहीं है बाकी।
जहां ना मिलती इसकी झांकी।।3।।
लॉक हुए हैं घर मे अपने।
आज़ादी के देखें सपने।।4।।

पत्नी कोसे बच्चा रोये।
जिनपिंग नाश तुम्हारा होए।।5।।
जो वुहान से भेजा कीड़ा।
भोग रहा जग उसकी पीड़ा।।6।।

बीमारी तुमने फैलाई।
बेच रहे हो खुद ही दवाई।।7।।
अरे मौत के सौदागर सुन।
देह में तेरी लग जाये घुन।।8।।

काज तेरे सब विश्व अंत को।
आग लगे तेरे वामपंथ को।।9।।
छोटी आंखों वाले चीनी।
सबकी आंख से नींदे छीनी।।10।।

घर भीतर की यही कहानी।
रस्साकस्सी खींचातानी।।11।।
पति पर 21 दिन हैं भारी।
पत्नी के निकली है दाढ़ी।।12।।

काली रूप खोल के केशा।
बोल रही है शब्द विशेषा।।13।।
वो कहती है ये सुनता है।
बाकी जग ये सर धुनता है।।14।।

होता हर घर यही तमाशा।
खग जाने खग ही की भाषा।।15।।
सुन कर उसको दिग्गज डोले।
पति बेचारा कुछ ना बोले।।16।।

दुख सतावें नाना भांती।
छत पे नहीं पड़ोसन आती।।17।।
प्रेम का तारा कब का डूबा।
दिखी नहीं कब से महबूबा।।18।।

कोरोना के बने बराती।
बांट रहे हैं इसे जमाती।।19।।
उधर डॉक्टर लगे हुए हैं।
24 घण्टे जगे हुए हैं।।20।।

कुत्ते घूमें गली डगर में।
नहीं आदमी कहीं नगर में।।21।।
देश बजाता थाली ताली।
उधर विपक्षी देते गाली।।22।।

बन्द बज़ारें बन्द दुकानें।
सिगरेट खातिर सड़कें छानें।।23।।
एक हो गईं दो दो पीढ़ी।
बाप से ले गए बेटे बीड़ी।।24।।

मोदी जी कर लो तैयारी।
भीड़ बढ़ेगी एकदम भारी।।25।।
चीन से आगे हम जाएंगे।
विश्व विजेता कहलायेंगे।।26।।

घर की फुर्सत रंग लाएगी।
हमको वो दिन दिखलाएगी।।27।।
कीर्तिमान हम गढ़ जाएंगे।
10 करोड़ तो बढ़ जाएंगे।।28।।

घर में लेटे लेटे ऊबे।
सूरज कब निकले कब डूबे।।29।।
दिनचर्या है भंग हमारी।
सुनते रहते पलँग पे गारी।।30।।

हारेगा इक़ दिन कोरोना।
बन्द करेंगे बर्तन धोना।।31।।
झाड़ू पोंछा करते करते।
जिंदा हैं बस मरते मरते।।32।।

कुर्सी याद बहुत आती है।
आंखों में आंसू लाती है।।33।।
हालातों पर करके काबू।
आफिस जाएंगे बन बाबू।।34।।

डाउन होकर लॉक हुए हैं।
हम एकदम से शॉक हुए हैं।।35।।
बाहर जाने से डरते हैं।
कूलर में पानी भरते हैं।।36।।

कोरोना का चीन में डेरा।
पूरे विश्व को इसने घेरा।।37।।
भारत मे आकर हारेगा।
संयम ही इसको मारेगा।।38।।

नित्य प्रति जो पढ़े चलीसा।
वही निपोरे अपनी खीसा।।39।।
21 दिन जो नित्य रटेगा।
भरी जवानी टिकट कटेगा।।40।।

चीन तनय संकट करन भीषण रूप कुरूप।
अंधकार को छांटती बस संयम की धूप।।

कोरोनाय स्वाहा!​

Answers

Answered by lucky3739
0

Answer:

इसमे हम कया उततर दें। ये तो बस एक कवीता हे

Answered by aarya356
1

aaiye prabhu...

kripya jldi aaiye...

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