चोपाई किसे कहते है
दोहा किसे कहते है
सोरठा किसे कहते है
कवित किसे कहते है
सवैया किसे कहते है
Answers
Answer:
chopayi- char charan ka prashiddh matrik chand hai jiske pratyek charan me 16 matraye hoti hai
doha- दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात् अन्त में लघु होता है।
सोरठा छंद अर्धसममात्रिक छंद होता हैं. सोरठा छंद में विषम चरणों (जैसे: प्रथम और तृतीय चरण) में प्रत्येक चरण में 11-11 मत्राए होती हैं. और सम चरणों (जैसे: दुसरे और चौथे चरणों) में 13-13 मत्राए होती हैं. सोरठा छंद एक मात्रिक छंद हैं.
सोरठा छंद दोहा छंद का बिल्कुल उल्टा होता हैं. इसमें विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु होता हैं. और सम चरणों के अंत में गुरु-लघु नहीं होना चाहिए.
kavita जब कवि "भावनाओ की प्रसव" से गुजरते है तो कविताए प्रस्फूटित होते है। कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है। सृष्टि के पदार्थ या व्यापार-विशेष को कविता इस तरह व्यक्त करती है मानो वे पदार्थ या व्यापार-विशेष नेत्रों के सामने नाचने लगते हैं।
वे मूर्तिमान दिखाई देने लगते हैं। उनकी उत्तमता या अनुत्तमता का विवेचन करने में बुद्धि से काम लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
savaye सवैया एक छन्द है। यह चार चरणों का समपाद वर्णछंद है। वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहने की परम्परा है। इस प्रकार सामान्य जाति-वृत्तों से बड़े और वर्णिक दण्डकों से छोटे छन्द को सवैया समझा जा सकता है।
कवित्त - घनाक्षरी के समान ही हिन्दी रीतिकाल में विभिन्न प्रकार के सवैया प्रचलित रहे हैं।