चंपा का चरित्र चित्रण
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जब वह काले अक्षरों से निकलने वाले स्वर या अन्य ध्वनियों को देखती है, तो चंपा चौंक जाती है।
कवि त्रिलोचन जी की कविता "चंपा काले अक्षर नहीं चिनहति" के नायक चंपा अशिक्षित हैं और गहरे काले पात्रों को पढ़ने में असमर्थ हैं। इस वजह से जब कवि पढ़ना शुरू करता है और चंपा आता है, तो वह पढ़ते हुए चुपचाप कवि को देखती रहती है। वह स्वरों के रूप में अचंभित हो जाता है और लगता है कि कवि जोर-जोर से पढ़ रहा है, अक्षरों से प्रकट होना शुरू हो गया है।
Explanation:
चंपा
- चम्पा एक ग्रामीण निर्धन लड़की है।
- " चम्पा काले काले अक्षर नहीं चिह्नती कविता मे कवि ने चंपा का वर्णन एक सीधी साधी लड़की के रूप में किया है।
- वह पशुओं को चराती है तथा स्वभाव से बातूनी और चंचल है।
- उसे पढ़ना लिखना भाता नहीं है क्योंकि उसके मुताबिक पढ़े लिखे लोग सीधे कहाँ होते है, बात को घुमाते है।
- उसका मानना है कि पढ़े लिखे लोग अपनों को छोड़कर कलकत्ता चले जाते हैं इसलिए वह हमेशा कहती है कि " कलकत्ता पर बजरा गिरे।
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