Hindi, asked by sahutukeshwar38, 5 months ago

'चंपा काले काले अक्षर नहीं चीन्हती' कविता में आए चार देशाज शब्द छाटकर लिखिए​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

पंडित अन्नपूर्णानद जी ने इस कहानी में बताया है कि लाला झाऊलाल नामक व्यक्ति बहुत अमीर नहीं है। पर उन्हें गरीब भी नहीं कहा जा सकता। पत्नी के ढाई सौ रूपए माँगने तथा अपने मायके से लेने की बात पर अपनी इज्जत के लिये सात दिन में रुपये देने की बात की।

पाँच दिन बीतने पर अपने मित्र बिलवासी को यह घटना सुना कर पैसे की इच्छा रखी पर उस समय उनके पास रूपए न थे। बिलवासी जी ने उसके अगले दिन आने का वादा किया जब वह समय पर न पहुँचे तो झाऊलाल चिंता में छत पर टहलते हुए पानी माँगने लगे। पत्नी द्वारा लाये हुए नापसंद लोटे में पानी पीते हुए लोटा नीचे एक अंग्रेज पर गिर गया।

अंग्रेज एक लंबी चौड़ी भीड़ सहित आँगन में घुस गया और लोटे के मालिक को गाली देने लगा। बिलवासी जी ने बड़ी चतुराई से अंग्रेज को ही मुर्ख बनाकर उसी लोटे को अकबरी लोटा बताकर उसे 500 रूपए में बेच दिया। इससे रुपये का इंतजाम भी हो गया और झाऊलाल की इज्जत भी बच गई। इससे लाला बहुत प्रसन्न हुए उसने बिलवासी जी को बहुत धन्यवाद दिया।

बिलवासी ने पत्नी के संदूक से लाला की मदद के लिये निकले गए ढाई सौ रुपये उसके संदूक में वापस रख दिए फिर चैन की नींद सो गए।

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