चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
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जब कलकत्ता ही बजर गिरने से नष्ट हो जाएगा तबकलकत्ता उसके पति को नहीं बुला पाएगा। लाक्षणिक अर्थ में चम्पा शोषक व्यवस्था के प्रतीक कलकत्ता के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है।
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चंपा यद्यपि पढ़ी-लिखी नहीं है फिर भी उसके मन में भविष्य के प्रति आशंका उत्पन्न हो जाती है। आर्थिक तंगी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर काम धंधे की तलाश में बड़ी मात्रा में लोगों का पलायन होता है और वहां वे शोषक व्यवस्था के शिकार बनते हैं। कवि द्वारा यह कहना कि उसका पति थोड़े समय तक साथ रहेगा और फिर कल पता चला जाएगा। इसके कारण में घर टूटने की आशंका से भयभीत हो जाती है और कोलकाता पर वज्र गिरने की कामना करती है।
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