चिपको आंदोलन के बारे में लिखें।
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hii
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कृषि में आत्मनिर्भरता व पर्यावरण की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिये हमारे देश की कम से कम एक-तिहाई भूमि पर सघन वनों का होना अति आवश्यक है। अतः यह आवश्यक है कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये समाज के सभी (व्यक्तिगत, सामुदायिक व प्रशासनिक) स्तरों पर सघन सक्रिय अभियान चलाये जावे। विगत कुछ वर्षों में वन सम्पदा को संरक्षित रखने की दिशा में कई जन आंदोलन प्रारम्भ हुये हैं। हमारे देश में इस आशय को दृष्टान्त सर्वप्रथम अपने ही राज्य राजस्थान में मिलता है। सन् 1731 में जोधपुर के खेजड़ी गाँव की विश्नोई महिला अमृता देवी ने खेजड़ी वृक्ष को न काटने देने व सुरक्षा हेतु आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में विश्नोई समुदाय के 363 सदस्य शहीद हुए जिसमें स्वयं अमृता देवी भी सम्मिलित थी। इस घटना से तत्कालीन सरकार को खेजड़ी वृक्ष की कटाई पर कठोर प्रतिबंध लगाना पड़ा। इसी भांति वन संरक्षण में चिपको आंदोलन (Chipko movement) को भी विशेष योगदान रहा है। जो वर्तमान में सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में चल रहा है। टिहरी व गढ़वाल क्षेत्र की महिलाओं ने एक नारा दिया है जो चिपको नारे के नाम से जाना जाता है –
क्या है जंगल के उपचार? मिट्टी पानी और बयार।
मिट्टी पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार ।।
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