च) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में इंद्र वर्षा ऋतु में क्या जादूगरी दिखाते हैं?
Answers
उत्तर-> "पर्वत प्रदेश में पावस" कविता में इंद्र देव वर्षा ऋतु में अनेक रूपों में अपनी जादूगरी दिखाते हैं। पर्वत प्रदेश में पहाड़ियों से अचानक धुंध उठने लगती है और आकाश में काले बादल छा जाते हैं जिस कारण वहां का पूरा वातावरण अंधकारमय हो जाता है।
धुंध बढ़ने के कारण पर्वत अदृश्य हो जाते हैं और पहाड़ों से बहते झरने भी दिखाई देना बंद हो जाते हैं। तभी वहां मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है बादलों की इस धुंध में बहुत से पेड़ अदृश्य होने लगते हैं तथा ऐसा प्रतीत होता है कि मानो पेड़ धरती में धंसते जा रहे हों।
वहां के तालाबों से धुआं उठ रहा था उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो वहां आग लग गई हो। ऐसा लग रहा था कि मानो इंद्रदेव अपने विमान में बैठकर चारों ओर घूमते हुए अपनी जादूगिरी कर रहे हों।
'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में बताया गया है कि तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।
Explanation:
कविता का सार- कविता के माध्यम कवि सुमित्रानंदन पंत ने बताना चाहा है वर्षा ऋतु में मौसम हर पल बदलता रहता है। कभी तेज़ बारिश आती है तो कभी मौसम साफ हो जाता है। पर्वत अपनी पुष्प रूपी आँखों से अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने आप को देखता हुआ प्रतीत होता है। बादलों के धरती पर आ जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान धरती पर आ गया हो और कोहरा धुएं की तरह लग रहा है जिसके कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई हो।