चारू चन्द्र की चंचल किरणे खेल रही है जो जल थल में संदर्भ प्रसंग व्याख्या
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संदर्भ- पर्सतुत पंक्ति पंचवटी नामक पाठ से ली गई है,इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी हैं।
पर्संग- र्पस्तुत पंक्ति मे कवि ने चंदृमा की सर्वत्र व्याप्त किरणों का वर्ण़न किया है।
व्याख्या- see above
विशेषता- यमक अलंकार है।
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