History, asked by rokitlakra13, 2 months ago


चारों ओर आँख उठाकर देखिए तो बिना काम करने वालों की ही चारों ओर बढ़ती है। रोजगार कहीं कुछ भी नहीं है, अमीरों की
भुसाहबी, दलाली या अमीरों के नौजवान लड़कों को खराब करना या किसी की जमा मार लेना, इसके सिवा बतलाइए कौन
रोजगार है जिससे कोई रुपया मिलें। चारों ओर दरिद्रता की आग लगी हुई है। किसी ने बहुत ठीक कहा है कि दरिद्र, कुटुंबी इस
तरह अपनी इज्जत बचाए फिरता है, जैसे लाजवंती कुल की बहू फटे कपड़े में अपना अंग छिपाए रहती है। वही दशा हिन्दुस्तान
की है।​

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Answered by Madankumar808103
13

Answer:

चारों ओर आँख उठाकर देखिए तो बिना काम करने वालों की ही चारों ओर बढ़ती है। रोजगार कहीं कुछ भी नहीं है, अमीरों की

भुसाहबी, दलाली या अमीरों के नौजवान लड़कों को खराब करना या किसी की जमा मार लेना, इसके सिवा बतलाइए कौन

रोजगार है जिससे कोई रुपया मिलें। चारों ओर दरिद्रता की आग लगी हुई है। किसी ने बहुत ठीक कहा है कि दरिद्र, कुटुंबी इस

तरह अपनी इज्जत बचाए फिरता है, जैसे लाजवंती कुल की बहू फटे कपड़े में अपना अंग छिपाए रहती है। वही दशा हिन्दुस्तान

की है।

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