चोर और मन किसे कहा गया है हिंदी सवाल
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चोर और मन से तात्पर्य है चंपारण घाटी में गंडक नदी के दोनों ओर बनी हुई आकृतियां ।
- इन अलग अलग आकृतियों के ताल कहीं गहरे तथा कहीं उथले हुए है।
- ये सभी ताल टेढ़े मेढे तथा निर्मल स्वच्छ जल से भरे हुए है।
- ये ताल चौर और मन कहलाते है। उथले तालो को चौर क्षा जाता है ।
- जाड़ों व गर्मियों में पानी कम हो जाता है। तब ये ताल गहरे व विशाल बन जाते है, इन्हे मन कहा जाता है।
- मन शब्द मानस का अपभ्रंश है। ऐसी मान्यता है कि
- दोनों तरह के ताल चौर व मन गंडक घाटी के नर्तन के समय से बिखरे आभूषण के समान है।
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- चंपारण घाटी में गंडक नदी के दोनों ओर बनी विभिन्न आकृतियों को चोर और माणा कहते हैं।
- अलग-अलग आकार के ये ताल कहीं उथले तो कहीं गहरे हैं। ये सभी ताल टेढ़े और साफ पानी से भरे हुए हैं।
- इन तालों को चौर और माणा कहा जाता है। उथले ताल को चौर कहा जाता है। इन तालों में सर्दी और गर्मी में पानी कम हो जाता है।
- तो वहाँ विशाल और गहरे ताल हैं, जिन्हें मन कहा जाता है।
- मन शब्द मानस का अपभ्रंश है। ऐसा माना जाता है कि चौर और माणा के दोनों ताल गंडक घाटी में नृत्य के समय से बिखरे आभूषणों के समान हैं।
- इन विभिन्न आकृतियों के ताल कहीं गहरे तो कहीं उथले हैं।
- ये सब ताल टेढ़े मेढ़े और निर्मल स्वच्छ जल से भरे हुए हैं।
- इन तालों को चौर और मन कहा जाता है। उथले पूल नष्ट हो जाते हैं।
- सर्दी और गर्मी में पानी कम हो जाता है। फिर ये ताल गहरे और विशाल हो जाते हैं, इन्हें मन कहा जाता है।
- मन शब्द मानस का अपभ्रंश है। यह माना जाता है
- गंडक घाटी के नृत्य के समय से ताल चौर और माणा दोनों प्रकार के बिखरे हुए आभूषण हैं।
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