Hindi, asked by patiramy674, 17 hours ago

चोरी और प्रायश्चित का सारांश अपने शब्दों में लिखिए

Answers

Answered by bhatiamona
8

‘चोरी और प्रायश्चित’ कहानी महात्मा गांधी के बचपन से संबंधित एक घटना है। जब उन्होंने 13 वर्ष की आयु में अपने एक रिश्तेदार के साथ बीड़ी पीने का शौक लगा लिया था। उनके काका को बीड़ी पीने की आदत थी। इसी कारण वह अपने काका फेंके के हुए बीड़ी के ठूंठ को चुराकर पीने लगे। बाद में उन्होने नौकर के पैसे चुराकर बीड़ी खरीदना शुरु कर दिया। नौकर की जेब से पैसे चुराए बाद में उन्हें एहसास हुआ कि चोरी करना गलत बात है तो वे दोनो आत्मग्लानि में मंदिर जाकर धतूरे के बीज खाकर आत्महत्या करने की कोशिश करने लगे लेकिन उनसे ये काम नही हुआ।

उन्होंने 13 से 15 वर्ष की आयु तक के जीवन  में कई चोरियां कीं। कभी अपने भाई के पैसे चुराए तो कभी दादाजी के पैसे चुराए। इन सब बातों का उन्हें बेहद अफसोस हुआ। जब गांधीजी की अंतरात्मा धिक्कारने लगी तब उन्होंने अपने पिताजी को खत लिखकर अपनी सारी चोरियों को कबूल करते हुए उनसे माफी मांगी और उनके पिताजी ने उन्हें माफ कर दिया। इस तरह उन्होंने चोरी की आदत का प्रायश्चित किया।

यही इस कहानी का सार है कि जिंदगी में हमसे यदि कोई गलती हो जाती है तो हमें समय रहते उसको स्वीकार करके उसका प्रायश्चित करना चाहिए।

Similar questions