चोरी और प्रायश्चित कहानी में गांधी जी ने अपनी गलती का प्रायश्चित किस प्रकार किया
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प्राचीनकाल से ही हिन्दु्ओं में मंदिर में जाकर अपने पापों के लिए प्रायश्चित करने की परंपरा रही है। प्रायश्चित करने के महत्व को स्मृति और पुराणों में विस्तार से समझाया गया है। गुरु और शिष्य परंपरा में गुरु अपने शिष्य को प्रायश्चित करने के अलग-अलग तरीके बताते हैं। दूसरी ओर लाल किताब के अनुसार यदि व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का पाप किया है तो उसे कम से कम 43 दिन नंगे पांव मंदिर जाकर अपने पापों क्षमा मांगने के बारे में हिदायत दी गई है।
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