चार प्रकार के कर्म कौन से हैं उनके नाम बताओ
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Answer:
नित्य कर्म (दैनिक कार्य)।
नैमित्य कर्म (नियमशील कार्य)।
काम्य कर्म (किसी मकसद से किया हुआ कार्य)।
निश्काम्य कर्म (बिना किसी स्वार्थ के किया हुआ कार्य)।
संचित कर्म (प्रारब्ध से सहेजे हुए कर्म)।
निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)।
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उत्तर:कर्म इस प्रकार है
काम्य कर्म (किसी मकसद से किया हुआ कार्य)। निश्काम्य कर्म (बिना किसी स्वार्थ के किया हुआ कार्य)। संचित कर्म (प्रारब्ध से सहेजे हुए कर्म)। निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)।
व्याख्या:
व्यक्ति द्वारा अर्थात् उसके शरीर, मन, वाणी द्वारा की गई कोई भी क्रिया-चलना, खाना-पीना, सोना, उठना, बैठना, लिखना, खेत जोतना, बोझा ढोना, सोचना, विचारना व इच्छा करना, बोलना, पढ़ना इत्यादि कर्म है, किन्तु धर्म-गंर्थों मे कर्म शब्द का प्रयोग व्यक्ति के मन, वाणी और शरीर द्वारा लौकिक व पारलौकिक दायित्वों के निर्वाह हेतु किये
काम्य कर्म (किसी मकसद से किया हुआ कार्य)। निश्काम्य कर्म (बिना किसी स्वार्थ के किया हुआ कार्य)। संचित कर्म (प्रारब्ध से सहेजे हुए कर्म)। निषिद्ध कर्म (नहीं करने योग्य कर्म)।
व्याख्या:
व्यक्ति द्वारा अर्थात् उसके शरीर, मन, वाणी द्वारा की गई कोई भी क्रिया-चलना, खाना-पीना, सोना, उठना, बैठना, लिखना, खेत जोतना, बोझा ढोना, सोचना, विचारना व इच्छा करना, बोलना, पढ़ना इत्यादि कर्म है, किन्तु धर्म-गंर्थों मे कर्म शब्द का प्रयोग व्यक्ति के मन, वाणी और शरीर द्वारा लौकिक व पारलौकिक दायित्वों के निर्वाह हेतु किये
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