Hindi, asked by khushii35, 6 months ago

चारित्रिक पतन पर निबंध​

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Answered by janu519
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चरित्र मनुष्य का अनमोल धन है| हर उपाय से इसकी रक्षा करनी चाहिए| किसी की धन-दौलत, जमीन-जायदाद, व्यवसाय, व्यापार चला जाए, तो वह उघोग करने से पुन: प्राप्त हो सकता है, किन्तु जिसने प्रमाद अथवा असावधानी वश एक बार भी अपना चरित्र खो दिया, तो फिर वह जीवन भर के उघोग से भी अपने उस धन को वापस नहीं पा सकता| आगे चलकर वह अपनी भूल सुधार सकता है, अपना सुधार कर सकता है, अपनी सच्चरित्रता के लाख प्रमाण दे सकता है, किन्तु फिर भी वह एक बार का लगा हुआ कलंक अपने जीवन पर से नहीं धो सकता| उसके लाख संभल जाने, सुधर जाने पर भी समाज उसके उस पूर्व पतन को भूल नहीं सकता और इच्छा होते हुए भी उस पर विश्वास नहीं कर सकता| एक बार का चारित्रिक पतन मनुष्य को जीवन भर के लिए कलंकित कर देता है| इसलिए तो विद्वानों का कहना है कि मनुष्य का यदि धन चला गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य चला गया तो कुछ चला गया किन्तु चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया|

स लोकोक्ति का अर्थ यही है कि धन-दौलत तथा स्वास्थ्य आदि को फिर पाया जा सकता है, किन्तु गया हुआ चरित्र किसी भी मूल्य पर दुबारा नहिंपाया जा सकता| इसलिए मनुष्य का प्रमुख कर्तव्य है कि संसार में मनुष्यता पूर्ण जीवन जीने के लिए हर मूल्य पर, हर प्रकार से, हर समय, अपनी चरित्र रक्षा के लिए सावधान रहे|

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