चिरई - चिरगुन मनखे के सुख - दुख के संगवारी होथे । जौन समय बरम्हा हर ये पिरिथिवी ल सिरजिस तौन समय ओहर नदी , नरवा , पहाड़ , ताल , तरइया , पेड़ , जंगल , मनखे अउ नाना परकार के जीव जंतु के रचना करिस होही । ये जतका जिनिस के ओहर रचना करे हे ओखर सीधा सम्बन्ध मनखे ले हे । कावर के मनखे 3 ] ओ सब के भोगी जीव है । कोनों एक चीज खंग जाही तब ओखर जीव हर उकता जाही , चटपट करही इही सोच के ओहर सबे एकक ठन के रचना करे । सप्रसंग व्याख्या बताए
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चिरई - चिरगुन मनखे के सुख - दुख के संगवारी होथे । जौन समय बरम्हा हर ये पिरिथिवी ल सिरजिस तौन समय ओहर नदी , नरवा , पहाड़ , ताल , तरइया , पेड़ , जंगल , मनखे अउ नाना परकार के जीव जंतु के रचना करिस होही । ये जतका जिनिस के ओहर रचना करे हे ओखर सीधा सम्बन्ध मनखे ले हे । कावर के मनखे 3 ] ओ सब के भोगी जीव है । कोनों एक चीज खंग जाही तब ओखर जीव हर उकता जाही , चटपट करही इही सोच के ओहर सबे एकक ठन के रचना करे । सप्रसंग व्याख्या बताए
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