Hindi, asked by sahoopk496, 9 months ago

चूरन वाले भगत जी का जीवन हमें क्या शिक्षा मिलती है?

Answers

Answered by mohitsinghpoya15
19

Answer:

उत्तर

Explanation:

हमे स्वार्थी नही होना चाहिए ।

Answered by dgmellekettil
0

Answer:

चूरन वाले भगत जी के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमे बाज़ार के चका चौंध का शिकार नहीं बनाना है और अपने काम को पूरा करना है।

Explanation:

  • लेखक जैनेंद्र कुमार द्वारा रचित एक अति महत्वपूर्ण लेख बाजार- दर्शन जिसके माध्यम से लेखक बाजार के प्रति रुचि और अरुचि दोनों दिखाते हैं।
  • लेखक इस निबंध के माध्यम से कहना चाहते हैं कि हम बाजार जाते हैं, आवश्यकता से अधिक सामान खरीदना प्रारंभ कर देते हैं।
  • बाजार की चकाचौंध में हमें लगता है कि यह भी खरीद लो ,वह भी खरीद लो, संतुष्टि नहीं हो पाता है।
  • एक तरफ विलासिता वाले लोग और एक तरफ भगत जी चूरन वाले जिनपर बाजार पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता।
  • वह बाजार जाते हैं और अगर उन्हें नमक और जीरे की जरूरत है तो वह जीरा और नमक एक निश्चित दुकान से जाकर खरीद कर बाजार के मोह माया से दूर, अपने घर को वापस आ जाते हैं।
  • बाजार की माया उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचा पाती है। उनके संकल्पों को तोड़ नहीं पाते है। लेकिन बाजार में कुछ ऐसे लोग हैं जो उस बाजार को सच्चा लाभ दे सकते हैं ।
  • ग्राहक और व्यापारी एक दूसरे को ठगने की फेर में लगे रहते हैं।
  • एक की हानि में दूसरे को अपना लाभ दिखता है और यह बाजार का नहीं बल्कि इतिहास का ऐसा नियम बन गया।
  • ऐसे बाजार में लोगों की आवश्यकताओं का आदान-प्रदान नहीं होता, बल्कि शोषण होने लगता है उस समय कपट सफल हो जाता है और निकपट शिकार हो जाता है।
  • ऐसे बाजार मानवता के लिए विडंबना है।जो ऐसे बाजार का समर्थन करता है वह अर्थशास्त्री लेखक की नजर में औंधा हो जाता है।
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