Art, asked by singhdeepak975396, 6 months ago

चेष्टा करत हा
प्रश्न-1 उचित विकल्प द्वारा उत्तर दीजिए-
(क) अष्टाध्यायी में समास है-
(6) कर्मधारय समास (ii) दिगु समास
(ii) द्वंद समास
(iv) तत्पुरुष समास
(ख) सज्जन सन्धि है-
(6) व्यंजन संधि
(ii) स्वर संधि
(i) विसर्ग संधि
(iv) अयादि संधि
(ग) व्यक्तित्व का विलोम शब्द है-​

Answers

Answered by RajatPanwar706
1

Explanation:

'समसनम' इति समास:। इस प्रकार 'समास' शब्‍द का अर्थ है— स ् क्षेपण। अर ं ्थात्

दो या दो स अे धिक पदों में प्रयक्ु‍त विभक्तियों, समच्‍चय बो

ु धक 'च' आदि

को हटाकर एक पद बनाना। यथा— गायन के ुशला = गायनकुशला। इसी तरह

राज्ञ: परु

ुष: = राजपरुष: प ु दों में विभक्‍ति-लोप, सीता च रामश्‍च = सीतारामौ में

समच्‍चय बो

ु धक 'च' का लोप हुआ है। इसी प्रकार विद्या एव धनं

यस्‍य स: =

विद्याध्‍ान: पद में कुछ पदों का लोप कर सं

क्षेपण क्रिया द्वारा गायनकुशला,

राजपरुष:, सी ु तारामौ तथा विद्याधन: पद बनाए गए हैं।

कहीं-कहीं पदों के बीच की विभक्ति का लोप नहीं भी होता है।

यथा— खेचर:, यध

ुिष्ठिर:, वनेचर: आदि। ऐसे समासों को अलकु्समास

कहते हैं। पदों की प्रधानता के आधार पर समास के मख्ु‍यत: चार भेद होते हैं—

(1) अव्‍ययीभाव (2) तत्‍पुरुष (3) ्‍पु द्वन्‍द्व तथा (4) बहु

व्रीहि। तत्‍पुरुष क ्‍पु ेदो उपभेद

भी हैं— कर्मधारय एवंद्विग। इस प्रकार सामा ु न्‍य रूप से समास के छ: भेद हैं।

1. अव्‍ययीभाव

इस समास में पहला पद अव्‍यय होने के साथ ही साथ प्रधान भी होता है। समास

होने पर समस्‍त पद अव्‍यय बन जाता है तथा नपं

सकु लिङ्ग में प्रयक्ु‍त होता है,

यथा—

यथाशक्ति = शक्तिम अनति ् क्रम्‍य

निर्विघ्‍नम् = विघ्‍नानाम अभा

् व:

उपगङ्गम् = गङ्गाया: समीपम्

अनरूपम ु ् = रूपस्‍य योग्‍यम्

समास परिचय

नवम अध्‍याय

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2020-21

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