चिंता चेतना की चींता जलाती है इस पर अपना मत लिखिए
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उत्तर:-
चिंता चेतना की चींता जलाती है इस का यह तात्पर्य है कि चिंता के कारण मनुष्य अपनी चेतना को खो देता है, उसकी बुद्धि कुंद हो जाती है क्योंकि चिंता के कारण वह चिंतन करना छोड़ देता है, और चिंतन का अभाव उसकी चेतना के लिए चिता के समान बन जाता है
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