चिंता और तनाव से कौन-कौन से रोग हो सकते हैं
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Answer:
चिंता संबंधी विकार (Anxiety disorders) मानसिक बीमारियों का एक समूह है, इनके कारण जो दिक्कतें पैदा होती हैं वह आपको अपना जीवन सामान्य रूप से व्यतीत करने से रोक सकता हैं। जो लोग एनज़ाइटी (Anxiety) से ग्रस्त होते हैं उन्हें, निरंतर चिंता और भय रहता है, वे अक्षम हो सकते हैं लेकिन सही उपचार के साथ, बहुत से लोग उन भावनाओं को प्रबंधित कर सकते हैं और अपना जीवन सामान्य रूप से जी सकते हैं।
चिंता विकार एक अपने आप हो जाने वाली, अज्ञात या अनियंत्रित बीमारी नहीं है, जो पारिवारिक कारणों या किसी के संपर्क में आने से हो जाए। यह एक निश्चित प्रकार के व्यवहार के कारण होता है।
Explanation:
तनाव के बगैर जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। एक हद तक मनोवैज्ञानिक तनाव हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा होता है, जो सामान्य व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक साबित हो सकता है। हालांकि यदि ये तनाव अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाएं तब मनोचिकित्सा की आवश्यकता पड़ सकती है, अन्यथा ये आपको मनोवैज्ञानिक रूप से बीमार बना सकते हैं और आपमें मनोव्यथा उत्पन्न कर सकते हैं। सामान्यतः असमान्य मनोविज्ञान पर तनाव के महत्व का अच्छा प्रमाण पाया गया है, यद्यपि इससे पैदा होने वाले विशेष जोखिम और सुरक्षात्मक प्रणालियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। नकारात्मक या तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं से कई प्रकार के मानसिक व्यवधान पैदा होते हैं, जिनमें मूड तथा चिंता से जुड़े व्यवधान शामिल हैं। यौन शोषण, शारीरिक दुर्व्यवहार, भावनात्मक दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा, तथा डराने-धमकाने समेत बचपन और वयस्क उम्र में हुए दुर्व्यवहार को मानसिक व्यवधान के कारण माने जाते हैं, जो एक जटिल सामाजिक, पारिवारिक, मनोवैज्ञानिक तथा जैववैज्ञानिक कारकों के जरिए पैदा होते। मुख्य खतरा ऐसे अनुभवों के लंबे समय तक जमा होने से पैदा होता है, हालांकि कभी-कभी किसी एक बड़े आघात से भी मनोविकृति उत्पन्न हो जाती है, जैसे- PTSD। ऐसे अनुभवों के प्रति लचीलेपन में अंतर देखा जाता है और व्यक्ति पर किन्हीं अनुभवों के प्रति कोई असर नहीं पड़ता, पर कुछ अनुभव उनके लिए संवेदनशील साबित होते हैं। लचीलेपन में भिन्नता से जुड़े लक्षणों में शामिल हैं- जेनेटिक संवेदनशीलता, स्वभावगत लगण, प्रज्ञान समूह, उबरने के पैटर्न तथा अन्य अनुभव।
Explanation:
तनाव को किसी एक शारीरिक रासायनिक या भावनात्मक कारक के रूप में समझा जा सकता है जो शरीर तथा मानस बेचनी उत्पन्न होता है से उत्पन्न होता है sir dard v peeth dard neend Na aana gussa aur hatash Hona Kisi ek chij par dhyan Na laga Pana Rona dusron ki najar andaaz karna yah Rog chinta aur tanav ke lakshan hai