History, asked by jhasajan404, 9 hours ago

चुटुपालुघाटी में झारखंड के किन स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी​

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Answered by prathampawar191004
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- डॉ. शुचि चौहान

आज देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह आजादी हमें यूं ही नहीं मिली। इसके लिए न जाने कितने फांसी के फंदे पर झूले थे और न जाने कितनों ने गोली खाई थी, तब जाकर हमने यह आजादी पाई थी। देश ऋणी है उन क्रांतिवीरों का जिन्होंने देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। परंतु दु:ख है इतिहास में कुछ खास लोगों को ही जगह मिली।

कुछ लोग त्याग, बलिदान और आजादी के लिए किए गए लंबे संघर्षों के बाद स्वतंत्र भारत में भी वह सम्मान और पहचान न पा सके जिसके वे हकदार थे। इन वीर सेनानियों में अनेक महिलाएं भी थीं जिन्होंने न केवल क्रांतिकारियों की तरह तरह से सहायता की बल्कि संगठनों व सभाओं का नेतृत्व भी किया। आइए जानें कुछ ऐसी ही वीरांगनाओं के बारे में जो इतिहास के पन्नों में कहीं खो गईं।

झलकारी बाई : झलकारी बाई का जन्म 22 नंवबर 1830 को झांसी के भोजला गांव में हुआ था। बचपन में ही उनकी मां की मृत्यु हो गई। पिता ने मां और पिता दोनों की भूमिका निभाते हुए उन्हें बड़े प्यार से पाला और घुड़सवारी व तीरंदाजी की शिक्षा दी। उनका विवाह रानी लक्ष्मीबाई की सेना के एक सैनिक के साथ हुआ। यहां वे रानी के संपर्क में आईं। रानी ने उनकी क्षमताओं से प्रभावित होकर उन्हें अपने महिला सैनिकों की शाखा दुर्गा दल में शामिल कर लिया। यहां उन्होंने तोप व बंदूक चलाना सीखा और दुर्गा दल की सेनापति बनीं। वे लक्ष्मीबाई की हमशक्ल भी थीं। शत्रु को धोखा देने के लिए कई बार वे रानी के वेश में भी युद्धाभ्यास करती थीं। अपने अंतिम समय में वे रानी के वेश में युद्ध करते हुए अंग्रेजों के हाथों पकड़ी गईं और रानी को किले से भागने का अवसर मिल गया। झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोककथाओं में अमर है।

Answered by krahul17014
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ans bai hati isis hal Isro off idli kal ispe

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