History, asked by maahira17, 9 months ago

चित्र 4.32 और 4.33 में साँची से लिए गए दो परिदृश्य दिए गए। हैं। आपको इनमें क्या नज़र आता है? वास्तुकला, पेड़-पौधे, और जानवरों को ध्यान से देखकर तथा लोगों के काम-धंधों को पहचान कर यह बताइए कि इनमें से कौन से ग्रामीण और कौन से शहरी परिदृश्य हैं?

Attachments:

Answers

Answered by nikitasingh79
2

साँची से लिए गए दो परिदृश्य  चित्र 4.32 ग्रामीण परिदृश्य और 4.33 शहरी परिदृश्य को दर्शाते हैं।

यह प्रश्न क्रियाकलाप संबंधित है इसलिए से छात्र स्वयं हल करें।  

Explanation:

कला इतिहासकारों को बौद्ध मूर्तिकला को समझने के लिए बुद्ध के चरित्र लेखन को समझना आवश्यक है। आरंभिक इतिहासकारों ने बुद्ध को मानव रूप में न दर्शाकर, प्रतीकों के रूप में दर्शाया है।  बहुत सी ऐसी मूर्ति है जो सांची में उत्कीर्णित है, बुद्ध धर्म से सीधे संबंधित नहीं है । इनमें कुछ सुंदर स्त्रियां मूर्ति के रूप में उत्कीर्णित है , जो तोरण द्वार के किनारे एक पेड़ पकड़कर झूल रही हैं।  संस्कृत भाषा में इसे शालभंजिका मूर्ति कहा जाता है । वस्तुतः यह मूर्ति उर्वरता के प्रतीक के रूप में जानी जाती है।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

इस पाठ  (विचारक, विश्वास और इमारतें ) के सभी प्रश्न उत्तर :  

https://brainly.in/question/15321044#

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :

उत्तर दीजिए ( लगभग 100-150 शब्दों में ) आपके अनुसार स्त्री-पुरुष संघ में क्यों जाते थे?

https://brainly.in/question/15321478#

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए :

साँची की मूर्तिकला को समझने में बौद्ध साहित्य के ज्ञान से कहाँ तक सहायता मिलती है?  

https://brainly.in/question/15321893#

Answered by mda514055
0

Answer:

चित्र-4.1

इसको ध्यानपूर्वक देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें ग्रामीण दृश्य को अंकित किया गया है। इसमें लताओं, पेड़-पौधों और पशुओं को दर्शाया गया है। विशेष रूप से गाय, भैंस और हिरण को चित्रित किया गया है। इस चित्र के शीर्ष भाग में बने पशुओं के चित्रों और उनके साथ बने बौद्ध भिक्षुओं के चित्रों को देखने से ऐसा प्रतीत होता है जैसे वे अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं। जबकि निचले भाग में पशुओं के कटे हुए सिर और धनुष-वाण लिए कुछ लोगों को दिखाया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि बौद्ध धर्म से पूर्व ब्राह्मण धर्म में अनेक जटिलताओं का समावेश हो गया था। यहाँ तक कि बलि प्रथा को भी महत्त्व दिया जाने लगा था।

चित्र-4.2

इसमें कुछ मजबूत लंबे-लंबे स्तंभ और उनके नीचे जाली का सुंदर कार्य दिखाया गया है। इन स्तंभों के ऊपर विभिन्न मवेशी और कुछ अन्य वस्तुओं को चित्रित किया गया है। स्तंभों के माध्यम से बौद्ध धर्म के अनुयायियों को विभिन्न शारीरिक आकृतियाँ में बैठे हुए, खड़े हुए, एक-दूसरे को निहारते हुए तथा विभिन्न प्रकार के हाव-भाव की अभिव्यक्ति करते हुए दिखाया गया है। स्तंभ के ऊपरी सिरों पर उल्टे रखे हुए कलश, जिन पर डिजाइन बने हैं, दर्शाया गया है। इस चित्र के निचले भाग में कुछ स्तंभ, भिक्षुणियों के विभिन्न आकार, हाव-भाव और किसी इमारत के डिज़ाइन जो संभवतः किसी स्तंभ के बाहरी हिस्से से संबंधित हैं, दिखाया गया है। हमारे विचारानुसार चित्र नं. 4.1 ग्रामीण क्षेत्रों से और चित्र नं. 4.2 राजा, शहरी परिदृश्य और महलों से संबंधित है।

Similar questions