चित्र को देखकर लघु कथा लिखिए
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एक बार एक समय पर कंबुग्रीव नामक कछुआ एक झील के पास रहता था। दो सारस पक्षी जो उसके दोस्त थे उसके साथ झील में रहते थे। एक बार गर्मियों में, झील सूखने लगी, और उसमें जानवरों के लिए थोड़ा सा पानी बचा था।
सारस ने कछुए को बताया कि दूसरे वन में एक दूसरी झील है जहाँ बहुत पानी है, उन्हें जीवित रहने के लिए वहां जाना चाहिए। वे योजना के अनुसार कछुए के साथ वहां जाने के लिए तैयार हुए। उन्होंने एक छड़ी को लिया और कछुए को बिच में मुँह से पकड़कर रखने को कहा और कहा कि अपने मुंह को खोलना नहीं,चाहे कोई भी बात हो। कछुआ उनकी बात मान गया।
कछुए ने छड़ी के बिच को अपने दांतों से पकड़ा और दोनों सरसों ने छड़ी के दोनों कोने को अपने चोंच से पकड़ लिया। रास्ते में गांवों के लोग कछुए को उड़ते हुए देख रहे थे और बहुत आश्चर्यचकित थे। उन दो पक्षियों के बारे में जमीन पर एक हंगामा सा मच गया था जो एक छड़ी की मदद से कछुए को ले जा रहे थे।
Answer:
बहुत समय पहले कि बात है ।एक कछुआ था ,जो किसी गांव में एक तालाब में रहता था ।उसकि मित्रता दो बगुलों से थी । तीनो दोस्त एक साथ खूब मजा किया करते थे।
एक बार उनके गॉव में बारिश नहीं हुई , जिस कारण वंहा भयंकर सुखा पड़ा । नदी व तालाब सूखने लगे , खेत मुरझा गए। आदमी व पशु -पक्षी सब प्यास से मरने लगे । वह सब अपनी जान बचाने के लिए गॉव छोड़कर दूसरे स्थानो पर जाने लगे ।
बगुलों ने भी अन्य पक्षियों के साथ दूसरे जगह जाने का फैसला लिया । जाने कि बात सुनकर कछुए ने उनसे उसे भी अपने साथ ले चलने के लिए कहा । इस पर बगुलों ने कहा कि वह भी उसे वंहा छोड़कर नहीं जाना चाहते , परन्तु मुश्किल यह है कि कछुआ उड़ नहीं सकता और वह उड़ कर कही भी जा सकते है ।
उनकी बात सुनकर कछुआ बोला ,कि यह सच है कि वह उड़ नहीं सकता ।परन्तु उसके पास इस समस्या का हल है । कछुए कि बात सुनकर बगुलों ने उससे तरीका पूछा । कछुआ बोला ,”तुम एक मजबूत डंडी ले आओ । उस के दोनों कोनो को तुम अपनी -अपनी चोंच से पकड़ लेना और मैं उस डंडी को बीच में से पकड़कर लटक जाऊँगा इस प्रकार मैं भी तुम्हारे साथ जा सकूंगा और हम अपनी जान बचा सकेंगे। बगुलों को कछुए कि बात पसंद आ गई और वंहा से चलने कि तैयारी करने लगे ।चलने से पहले बगुलों ने कछुए को सावधान किया कि वह उसे साथ ले तो जा रहे है परन्तु हमारी एक शर्त कि तुम सारे रास्ते अपना मुह नहीं खोलोगे । कछुए को बहुत बात करने कि आदत थी । उसके लिए चुप रहना बहुत मुश्किल कार्य था । बगुले कछुए से आगे बोले,”यदि तुमने गलती से भी मुह खोला तो तुम निचे गिरकर मर जाओगे ।”
इस पर कछुआ बोला ,कि “मैं कभी भी ऐसी मूर्खता नहीं करूँगा ।”
बगुलों ने डंडी के दोनों किनारो को अपनी -अपनी चोंच में दबा लिया । कछुआ डंडी को अपने मुह से पकड़ कर बीच में लटक गया और बगुले उसे लेकर उड़ने लगे । वह तीनो आकाश में उचे उड़ते गए । काफी समय तक उड़ने के बाद वह एक नगर के ऊपर से निकल रहे थे तो उनको देखने के लिए सडको पर लोगो कि भीड़ जमा हो गई ।
किसी ने भी ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था ।वह लोग जोर -जोर से ताली बजाने और शोर मचाने लगे । लोगो को इस तरह से शोर मचाते व ताली बजाते देख कछुए को बहुत क्रोध आया ।उससे बिना बोले नहीं रहा गया ।वह बगुलों द्वारा चुप रहने कि बात भूल गया और जैसे ही कछुए ने बोलने के लिए मुह खोला, वह धड़ाम से निचे जा गिरा और मर गया |