चित्रों को देखकर वाक्य बनाइए
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यहाँ मैं 3 गुब्बारे देख सकता हूँ।
यह एक जोकर की तस्वीर है।
उन्होंने एक बहुरंगी पोशाक पहनी है।
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1. कर्ता - ने (राम जाता है)
(रामः गच्छति।)
कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है।
2. कर्म - को (to) (बालक विद्यालय को जाता है )
(बालकः विद्यालयं गच्छति।)
कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
3. करण - से (by), द्वारा (वह हाथ से लिखता है )
(सः हस्तेन खादति।)
करण में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
4. सम्प्रदान - के लिये ,को (for) (निर्धन को धन देना चाहिए )
(निर्धनाय धनं देयं।)
सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
5. अपादान - से (from) अलगाव (पेड़ों से पत्तियाँ गिरती है )
(वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।)
अपादान में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
6. सम्बन्ध - का, की, के (of), रा, री, रे, ना, नी, ने, (राम दशरथ के पुत्र थे )
( रामः दशरथस्य पुत्रः आसीत्। )
सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।
7. अधिकरण - में, पे, पर (in/on) (उसके घर में माता नहीं है )
(यस्य गृहे माता नास्ति,)
अधिकरण में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
8. सम्बोधन - हे, अरे, (हे राजन !मैं निर्दोष हूँ )
(हे राजन् ! अहं निर्दोषः।)
सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है।
अब हम चित्र को देखकर और मञ्जूषा में दिए गए शब्दों की सहायता से पांच वाक्य संस्कृत में बनाएंगे
आपको परीक्षा में इस तरह से प्रश्न पूछा जाता है –
(रामः गच्छति।)
कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है।
2. कर्म - को (to) (बालक विद्यालय को जाता है )
(बालकः विद्यालयं गच्छति।)
कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
3. करण - से (by), द्वारा (वह हाथ से लिखता है )
(सः हस्तेन खादति।)
करण में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
4. सम्प्रदान - के लिये ,को (for) (निर्धन को धन देना चाहिए )
(निर्धनाय धनं देयं।)
सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
5. अपादान - से (from) अलगाव (पेड़ों से पत्तियाँ गिरती है )
(वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।)
अपादान में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
6. सम्बन्ध - का, की, के (of), रा, री, रे, ना, नी, ने, (राम दशरथ के पुत्र थे )
( रामः दशरथस्य पुत्रः आसीत्। )
सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।
7. अधिकरण - में, पे, पर (in/on) (उसके घर में माता नहीं है )
(यस्य गृहे माता नास्ति,)
अधिकरण में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है।
8. सम्बोधन - हे, अरे, (हे राजन !मैं निर्दोष हूँ )
(हे राजन् ! अहं निर्दोषः।)
सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है।
अब हम चित्र को देखकर और मञ्जूषा में दिए गए शब्दों की सहायता से पांच वाक्य संस्कृत में बनाएंगे
आपको परीक्षा में इस तरह से प्रश्न पूछा जाता है –
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