Hindi, asked by sahibmalhotra86, 10 months ago

चित्र वरणन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ​

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Answered by Anonymous
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कन्या भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से एक भिक्षुक की तरह बेटियों को बचाने की भीख मांगी है उन्होंने उसे एक मानसिक बीमारी बताते हुए चेतावनी दी है कि अगर इसे तुरंत रोका नहीं गया तो आने वाली पीढ़ियां सदियों तक लैंगिक अनुपात के असंतुलन का शिकार रहेंगी लड़कियों के साथ भेदभाव और गर्भ में ही कन्या को मारना एक अपराध है । बेटी को महत्वपूर्ण माना और बेटी को पराया घर जाने वाला भोज मानते हैं हम 21वीं सदी के नागरिक होकर जन्म लेने से पहले ही अपनी बेटियों को मार देते हैं यह हमारी बीमार मानसिकता का प्रतीक है अब तो जन्म लेने से पहले सांस लेने से पहले घर में ही मार दी जाती हैं । बेटा बेटी मैं अंतर किया जाता रहा है और बच्चियों की हत्या होती रही तो लड़के लड़कियों का चिंताजनक स्थिति में अनुपात और भी बढ़ जाएगा लड़के और लड़कियों के अनुपात में बढ़ता अंतर पूरे देश के पैमाने पर चिंता की बात है और हरियाणा तथा कई राज्य में प्रति 1000 बालक पर 960 बच्चियों के खाते के दस्तावेज उन बच्चियों के माता-पिता को सौंपी इस योजना के अंतर्गत 10 साल तक बढ़ती के लिए माता-पिता 1000 से लेकर ₹1,5000 तक बैंक में जमा कर सकते हैं इस पैसे पर किसी भी बैंक से अधिक ब्याज मिलेगा और आयकर भी नहीं लगेगा जब लड़की 21 साल की हो जाए तो पूरा पैसा निकाला जा सकता है हिंदी सिनेमा की सदाबहार अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया व है। अभी आ अभियान देश के 100 जिलों में लागू किया जाता है जहां लिंग अनुपात अधिक असंतुलित है इनमें हरियाणा के 12 जिले हैं सभी देशवासियों की और डॉक्टरों को कन्या भ्रूण हत्या न करने की शपथ लेनी चाहिए सरकार की ओर से घोषणा की गई कि सुरक्षित लिंग अनुपात का लक्ष्य प्राप्त करने वाले गांव को 10000000 रुपए का इनाम दिया जाएगा देश में अनेक ऐसे गांव हैं जहां बरसों से एक भी लड़की पैदा नहीं हुई है बहुत से लोग अपनी लड़कियों को तो पढ़ाते नहीं है और अपने पुत्र के लिए बहू पढ़ी-लिखी चाहते हैं अब तो यह भी भ्रम टूट चुका है कि बेटा बुढ़ापे का सहारा होता है आज लाखों घर आए थे जहां मां बाप बेटा होने के बावजूद बहुत दुखी है जबकि लाखों घर ऐसे जहां बेटी अपने मां-बाप का सहारा बनी हुई है क्योंकि वे उनकी देखभाल करती है पिछले 30 साल में विदा आश्रमों की बढ़ती संख्या भैया सिद्ध करती है कि बेटा बुढ़ापे का सहारा वाली बात सही नहीं है कौन जाने गर्भ में मरने वाली करने आने वाले समाज की कल्पना चावला इंदिरा गांधी लता मंगेशकर सरोजिनी नायडू सुचेता कृपलानी महादेवी वर्मा हो जिनकी प्रतिभा पर भारत को गर्व है।।।

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