“चित्रकूट में भरत” पाठ के अनुसार भरत मिलाप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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रामायण में वैसे तो कई ऐसे प्रसंग हैं, जो बड़े ही मार्मिक हैं और आपकी आँखों से अश्रुधारा बहा सकते थे, जैसे -: माता सीता का अपहरण, उनकी अग्नि परीक्षा, लव कुश का बाल पण, आदि. इन प्रसंगों की ही तरह एक बहुत ही चर्चित प्रसंग रहा हैं –राम भरत मिलाप का. यह प्रसंग इतना चर्चित हैं कि आज भी कोई बहुत समय बाद बड़ी ही प्रेम भावना से मिलता हैं तो लोग इसे राम भरत मिलाप की ही उपमा देते हैं.
रघुकुल वंश के महाराज दशरथ के चारों पुत्र– राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न अपनी शिक्षा – दीक्षा पूर्ण करके अयोध्या लौट आते हैं, उसके पश्चात् चारों भाइयों का विवाह महाराज जनक की पुत्रियों से हो जाता हैं. ये सभी शुभ प्रसंग चलते रहते हैं और महाराज दशरथ अपने सबसे बड़े पुत्र राम को राजा बनाने का निर्णय लेते हैं. इस निर्णय से सभी प्रसन्न होते हैं. परन्तु महारानी कैकयी की दासी मंथरा इस संबंध में कैकयी के मन में विष घोलती हैं और राम को राजा न बनने देने के लिए कैकयी को उकसाती हैं. वैसे तो महारानी कैकयी राम से बहुत प्रेम करती थी, परन्तु वे उस समय मंथरा की बातों में आ जाती हैं और इसी कारण उन्होंने महाराज दशरथ को विवश कर दिया कि वे भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास दें और भरत को राज्य दे. महाराज दशरथ को भी विवशता में इस बात के कारण ये निर्णय लेनें पड़े और राम अपनी धर्मपत्नि सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन की ओर चल दिए.