चित्रकला क्या है? क्या चित्रकला अभी भी महत्वपूर्ण है या यह एक मृत माध्यम है?
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आत्माभिव्यक्ति मानव की प्राकृतिक प्रवृत्ति है। अपने अंदर के भाव प्रकट किए बिना वह रह नहीं सकता। और, भावों का आधार होता है, मनुष्य का परिवेश। विद्वानों की मान्यता है कि आदिम काल में जब भाषा और लिपि-चिह्नों का आविर्भाव नहीं हुआ था, रेखाओं के संकेत से ही व्यक्ति स्वयं को अभिव्यक्त करता था। गुफाओं के अंदर आज जो शिलाचित्र मिलते हैं, वे ही चित्रकला के आदि प्रमाण हैं। तब का मानवजीवन पशुओं आदि के अधिक निकट था, जीवन के अन्य पक्ष अभी विकसित होने थे, इसलिए तत्कालीन भारतीय चित्रांकन भी इतने तक ही सीमित मिलता है।
सभ्यता के विकास के साथ परिस्थितियाँ बदलती गई। भारत धर्म और आध्यात्म की ओर आकृष्ट हुआ। यहाँ बाह्य सौंदर्य की अपेक्षा आंतरिक भावों को प्रधानता दी गई। इसलिए भारत की चित्रकला में भाव-भंगिमा, मुद्रा तथा अंगप्रत्यंगों के आकर्षण के अंदर से भावपक्ष अधिक स्पष्ट उभरकर सामने आया।