Hindi, asked by tesvinny7066, 8 months ago

चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

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Answered by jayathakur3939
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प्रशन :- चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं- इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

उत्तर :- यह बातें लेखक एस:एच:रजा ने वर्तमान में हो रहे चित्रकला के व्यवसायीकरण को ध्यान में रखते हुए कही हैं | उन्होंने ये बातें ख़ास तौर पर युवा कलाकारों को संबोधित किया है | वे अपना सर्वस्व देकर चित्रकला के लिए समर्पित होते हैं जबकि बाजार में उनके चित्रों की नीलामी की जाती है | चित्रकला किसी भी कलाकार की अंतरात्मा की आवाज होती है, इसे व्यवसाय प्रधान नहीं बनाना चाहिए | चित्रकला का भविष्य उज्जवल है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इसके व्यवसायीकरण पर रोक लगाया जा सकेगा या नहीं |  

Answered by Dhruv4886
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चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार है क्योंकि, चिरतरकारिता एक ऐसी काला है जिसमे कलाकार को मन और तन दोनों से आनंद लाकर काम करना पड़ता है परन्तु जब कलाकार अपनी कलाकृति को व्यवसाय मे बदलने लगता है तब उसकी चिरतरकला की कोई वैल्यू नहीं रहती इसी वज़ह से चिरतरकार को अपनी काला को और बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए नाकि उसे व्यवसाय बनाना चाहिए

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