Hindi, asked by dko25, 1 year ago

चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए’-अकसर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें।?​

Answers

Answered by RAthi21
50

hey!

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°उत्तर:-°

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शास्त्रीय संगीतकारों का एक बहुत बड़ा वर्ग हमारे देश में रहता है। शास्त्रीय संगीत की परंपरा बहुत प्राचीन व उत्कृष्ट है। शास्त्रीय संगीत में प्रत्येक राग के अनुसार स्वर, लय, ताल आदि निश्चित होते हैं, उनमें थोड़ा-सा भी परिवर्तन असहनीय होता है। लोक संगीत या फ़िल्मी संगीत स्वर, लय, ताल आदि के संबंध में इतना सख्त रवैया नहीं रखता। इसमें जो भी श्रोताओं को आह्लादित करे, वही श्रेष्ठ समझा जाता है।

इसे सीखने के लिए भी शास्त्रीय संगीत की तरह वर्षों के अभ्यास की जरूरत नहीं होती। शास्त्रीय संगीत के आचार्य चित्रपट या फ़िल्मी संगीत पर यह दोष मढ़ते रहते हैं कि उसने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं; अर्थात् उसके कारण लोगों को केवल कर्णप्रिय धुनें सुनने की आदत पड़ गई है।

इसे सीखने के लिए भी शास्त्रीय संगीत की तरह वर्षों के अभ्यास की जरूरत नहीं होती। शास्त्रीय संगीत के आचार्य चित्रपट या फ़िल्मी संगीत पर यह दोष मढ़ते रहते हैं कि उसने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं; अर्थात् उसके कारण लोगों को केवल कर्णप्रिय धुनें सुनने की आदत पड़ गई है।इस विषय में कुमार गंधर्व का मत है कि वस्तुतः फ़िल्मी संगीत ने लोगों के कान बिगाड़े नहीं अपितु सुधारे हैं। आज फ़िल्मी संगीत के कारण एक साधारण श्रोता भी स्वर, लय, ताल आदि के विषय में जानकारी रखने लगा है। लोगों की रुचि संगीत में बढ़ी है।

  1. शास्त्रीय संगीत के काल में कितने लोग संगीत का ज्ञान रखते थे? कितने लोग उसके दीवाने होते थे?

  • अर्थात् बहुत कम। आज लोग केवल फ़िल्मी संगीत ही नहीं शास्त्रीय संगीत की ओर भी मुड़ने लगे हैं। यह भी फ़िल्मी संगीत के कारण ही संभव हुआ है। हमारा मत भी कुमार गंधर्व से मिलता है।

हमारा भी यही मानना है कि आज के फ़िल्मी संगीत के कारण ही शास्त्रीय संगीतकारों की पूछ भी बढ़ी है। जब उन्हें फ़िल्मों में संगीत देने व कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर मिलता है तो लाखों लोग उन्हें पहचानते हैं।

अतः फ़िल्मी संगीत पर उपर्युक्त दोष लगाना उचित नहीं है।

°hope help u!!°

Answered by brainlystargirl
29

Heya ____

Que ____

चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए’-अकसर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें।?

Ans ______

⚪ Chitrapat sangeet nai logo ke kaan bigad diye hai aksar yeh aroop lagaya jata hai kintu yeh galat hai apitu chitrapat sangeet nai logi ke kaan sudhar dia hai...

⚪ Ajkal chitrapat sangeet ke gane logo ki juban par chad jate hai.. bacche jinhe swar ya geet ki koi jankari nhi hoti vo bhi badi utsuta sai gaane gate hai...

⚪ Inhone ligo ki sangeet ke prati ruchi ko badha di hai.. isse logo me utsukta h taki ve sangeet swkhe...

Thank you

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