चिंता तौ हरि नाँव की, और न चिन्ता दास।
जे कुछ चितवै राम बिन, सोइ काल की पास।।5।।
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iska answer kya dena hai .Thik se likho.
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ये एक दोहा है कबीर के
यह कबीर जी ने लिखा है
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