चिंता-दग्ध मनुष्य समाज की दया का पात्र क्यों है?
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चिंता-दग्ध मनुष्य समाज की दया का पात्र क्यों है?
चिंता-दग्ध मनुष्य समाज की दया का पात्र इसलिए कहा गया है क्योंकि समाज की दया से वह चिंता से मुक्त हो जाता है|
कहा जाता है , चिंता को लोग चिता कहते है| कब भी मनुष्य कोई चिंता पकड़ ले तो उसकी ज़िन्दगी खराब हो जाती है| समाज और लोग चिंता करने वालों की हालत देखकर उन पर दया करते है और उन्हें सलाह भी देते है जिससे उसकी समस्या का हल निकल जाता है|
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