चातक पुत्र ने प्यास लगने पर पिता से कैसे बहस किया ?
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पुत्र ने प्यास लगने पर पिता से तर्क- वितर्क किया ," यही तो मैं भी कहता हूं - समय सदा एक- सा नहीं रहता/ पुरानी बातें समय के लिए थी, आप अब भी उन्हें इस तरह छाती से चिपकाकर हुए हैं, जिस तरह बानरी मरे बच्चे को चिपकाकर रहती है/ घनश्याम की वाट जो हते रहिए / अब मुझसे यह नहीं सध सकता/
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