चितवत चंद चकोरा का अर्थ है --
चाँद को देखना
चकोर को देखना
चितवन को देखना
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चितवत चंद चकोरा का अर्थ है...
चाँद को देखना
स्पष्टीकरण...
चितवन चंद चकोरा का अर्थ है कि चकोर नाम का पक्षी एकचित होकर चाँद को निहारा करता है।
कवि रैदास प्रभु की भक्ति में मगन होकर कहते हैं कि जिस तरह चकोर एकचित होकर चाँद को निहारा करता है, और अपनी सुध-बुध खोकर अपने-आप को भूल जाता है, वैसे ही मैं भी आपके मनोहारी स्वरूप को भावमग्न होकर निहारा करूँ और मैं आपमें इतना मग्न हो जाऊं कि स्वयं को ही भूल जाऊं।
चकोर तीतर की प्रजाति का एक पक्षी है, जिसके हाव-भाव स्वभाव तीतर से काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। कवियों ने चकोर के संबंध में अनेक कल्पनाएं कर रखी है कि यह चाँद को एकटक देखता रहता है और चंद्रमा की किरणों का पान करता है। हालांकि कवियों ने अतिश्योक्तिपूर्ण होकर चकोर के संबंध में ऐसी कल्पना की है।
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