'चिदंबरा' के अमर रूकाकार पंत का साध्यिक परिचया लिबिका।
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चिदंबरा’ वह कविता संग्रह है जिसके लिए १९६८ में सुमित्रानंदन पंत को ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया। यह संग्रह उनकी काव्य-चेतना के द्वितीय उत्थान की परिचायिका है, उसमें ‘युगवाणी’ से लेकर ‘अतिमा’ तक की रचनाओं का संचयन है, जिसमें ‘युगवाणी, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्ण-किरण’, ‘स्वर्णधूलि’, ‘युगपथ’, ‘युगांतर’, ‘उत्तरा’, ‘रजतशिखर’, ‘शिल्पी’, ‘सौवर्ण और‘अतिमा’ की चुनी हुई कृतियों के साथ ‘वाणी’ की अंतिम रचना ‘आत्मिका’ भी सम्मिलित है। ‘पल्लविनी’ में, सन् 18 से लेकर’ 36 तक, उनके उन्नीस वर्षों को संजोया गया हैं और ‘चिदंबरा’ में, सन्’ 37 से’ 57 तक, प्रायः बीस वर्षों की विकास श्रेणी का विस्तार हैं।
चिदंबरा
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