History, asked by rounakmandal07, 5 months ago

चांदी के स्थान पर सोने पर आधारित नयी मौलीक प्रणाली किस रोमन सासक ने अपनायी?​

Answers

Answered by tomarnikhil761
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Answer:

3000 ईसा पूर्व वर्ष में सोने के पहले मानवीय सम्पर्क के बाद, प्राचीन सभ्यताओं में सोने को बहुत महत्त्व मिला।

सोने के सिक्कों को सबसे पहले मुद्रा के रूप में प्रचलित करने का श्रेय रोमन लोगों को जाता है। उस दौर में, गहने बनाने के लिए भी सोने का प्रयोग किया जाता था। सोने के गहनों को समृद्धि और समर्थता का प्रतीक माना जाता था।

समय के साथ सोने का प्रयोग सिर्फ उच्च-वर्गीय लोगों द्वारा प्रयुक्त घड़े और अन्य घरेलू वस्तुएँ बनाने के लिए किया जाने लगा। मानना था कि किसी घर में जितना ज़्यादा सोना होगा, वह घर उतना ज़्यादा समृद्ध होगा।

रोमन लोग मृत व्यक्तियों के साथ उनके सोने के गहनों को भी दफन करते थे ताकि वे उन्हें अपने अगले जीवन में भी प्रयोग कर सकें।

रोमन लोगों को अपना सोना कहाँ से मिलता था?

रोम में सोने के समृद्ध प्राकृतिक संसाधन कभी नहीं थे और वहाँ के लोग इसे प्राप्त करने में बहुत ढीले थे। सोने की पहली खोज पश्चिमी ऐल्प्स पर्वत शृंखला में पो नदी और पियेडमॉन्ट के दक्षिण में हुई थी। सोने के संदर्भ में, रोम के इतिहास में, द्वितीय प्यूनिक महायुद्ध (218-201 ईसा पूर्व) शायद सबसे महत्त्वपूर्ण घटना थी।

स्पेन पर विजय पाने के बाद रोमन लोगों ने अदुआर बेसिन, मलागा जिले, ग्रेनाडा के मैदानों, और सियेरा नेवादा पर्वत की ढलानों पर सोने का खनन शुरु किया। इन क्षेत्रों में आज भी सोने के कुछ-कुछ अंश पाये जाते हैं। सोने का एक और बड़ा स्रोत मिला जूलियस सीज़र की ब्रिटेन विजय के बाद।

जैसे-जैसे रोमान साम्राज्य विस्तृत हुआ, सोने की चाहत भी बढ़ती गयी। उनकी विजय के साथ-साथ उन्हें मिली वर्सेले, राइन नदी, मध्य अफ्रीका के अटलांटिक तट और मिस्र के कुछ हिस्सों – बल्कि पूरे विश्व से ही – सोने की खानें। सन्‌ 49 में सम्राट क्लॉडियस की पत्नी ऐग्रीपिना ने सोने के धागों से बनी ट्यूनिक पहनी थी। एक समय में, रोमन लोगों के पास इतना सोना हुआ करता था कि वे शुद्ध सोने की विशाल मूर्तियाँ बनाकर प्रदर्शित किया करते थे।

रोमन स्वर्णाभूषण

रोमन साम्राज्य में, सोना किसी व्यक्ति की सम्पत्ति, समृद्धि और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक होता था।

चूँकि सोने को दैवी धातु और सीधा सूर्य से प्राप्त हुआ माना जाता था, इसलिए इसे गहने बनाने के लिए प्रयोग किया जाता था। नन्हें बालकों को जन्म से ही बुरी नज़र और बुरी शक्ति से बचाने के लिए बुल्ला नामक ताबीज़ पहनाया जाता था। लैंगिक चिह्न वाली सोने की अंगूठियाँ भी युवा लड़कों में बहुत पसंदीदा थीं क्योंकि उन्हें सौभाग्य का प्रतीक माना जाता था। सोने की अंगूठियाँ ही पुरुषों द्वारा पहना जाने वाली सबसे प्रचलित और शायद एकमात्र गहना था।

रोमन महिलाएँ हार, ब्रेसलेट और बाजूबंद पहनना पसंद करती थीं। उनके बाजुओं पर हमेशा सात से ज़्यादा गहने रहते थे। उनमें सबसे प्रचलित थे सोने में मुड़े हुए सर्पों के आकार के ब्रेसलेट। यह डिज़ाइन अमरत्व का प्रतीक हुआ करता था।

रोमन सोने के सिक्के

क्या आप जानते थे कि रोमन जगत में ‘ऑरियस’ ही मूल स्वर्ण मुद्रा इकाई हुआ करती थी? इनका प्रयोग ईसा पूर्व तीसरी सदी के मध्य से तीसरी सदी ईस्वी के मध्य तक हुआ था।

इस दौर में, सोने का पुनरुपयोग सिक्के बनाने के लिए हुआ करता था जो बहुत प्रचलित थे। उन सिक्कों पर वर्तमान सम्राट का चेहरा बना हुआ था। सर्वाधिक प्रचलित थे ऑगस्टस के चेहरे वाले सिक्के।

स्पेन में रोमन लोगों द्वारा हाइड्रॉलिक माइनिंग का आविष्कार करने के बाद से सोने का खनन विशेष रूप से महँगा हो गया। हालाँकि इस प्रक्रिया से गहरे खानों की अपेक्षा सोने का उत्पादन ज़्यादा होता था, तो भी यही वजह थी कि नदियों का घुमाव और विनाश भी किया गया था। रोमन अपने साम्राज्य की सीमाओं से बाहर निकलकर भी सोने का खनन करते थे, सिक्कों की टकसाली करते थे और उन्हें सुदूर संचारित करते थे।

प्राचीन रोम की अर्थ-व्यवस्था में सोने का बहुत बड़ा योगदान था। इसी वजह से वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। सोने के प्रति रोमन प्रेम ने आने वाली अन्य सभ्यताओं को भी प्रेरित व प्रभावित किया और इस बहुमूल्य धातु के प्रति दुनिया को एक नया नज़रिया दिया।

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