Geography, asked by alok304, 1 month ago

चांद के वातावरण के बारे में चंद्र अभियानकारी दल के अनुभवों का विवरण दे​

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Answered by Atlas99
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अरे दोस्त यहाँ आपका जवाब है________

भारत ने चंद्रमा पर अपने दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 का देश के सबसे वजनी 43.43 मीटर लंबे जीएसएलवी-एमके3 एम1 रॉकेट की मदद से सोमवार को सफल प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) प्रक्षेपण के 16 मिनट बाद प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और पृथ्वी की पार्किंग कक्षा में प्रवेश कर गया। इसके बाद उसने सात सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए अपनी 30844 लाख किलोमीटर की 48 दिन तक चलने वाली यात्रा शुरू कर दी। देश के करोड़ों लोगों के सपनों के साथ 3850 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 ने अपराह्न 1443 बजे शानदार उड़ान भरी। इसके प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती 20 घंटे पहले रविवार शाम 1843 बजे शुरू हुई थी।

जानते हैं चंद्रयान मिशन के बारे में कुछ खास बातें-1- चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की जाएंगी। चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में 48 दिन लगेंगे। इस मिशन की सफलता के बाद भारत उन कुल 4 देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। सॉफ्ट लैंडिंग करना इतना खतरनाक है कि अभी तक अमेरिका, रूस, चीन ही इस कारनामे को अंजाम दे पाए हैं।

2- चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इससे पहले किसी भी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव में लैंडिंग नहीं है। इसी के साथ भारत यहां उतरने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।

3- दक्षिणी ध्रुव पर काफी अंधेरा होता है। वहां सूर्य की किरणे भी नहीं पहुंच पाती है। इसलिए किसी भी देश ने आज तक वहां लैंडिंग करने की हिम्मत नहीं की। 4- चांद के इस क्षेत्र का तापमान भी बहुत कम है इसलिए वहां बर्फ या पानी मिलने की उम्मीद वैज्ञानिकों को होगी। इससे पहले चंद्रयान-1 भी चांद पर पानी की खोज की थी। जिसने ‌विश्व को हैरत में डाल दिया था।

5- चंद्रयान-2 को बनाने में 978 करोड़ की लागत लगी है। ये पूरे तरीके से स्वदेशी तकनीक से निर्मित हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य चांद पर पानी की मात्रा का अध्ययन करना, चांद पर मौजूद खनिजों, रयासनों के बारे में पता करना, चांद के वातावरण का अध्ययन करना शामिल है। चंद्रयान-2 में कई प्रकार के कैमरे, रडार लगे हैं जिससे चांद के बारे में गहराई से अध्ययन हो सकेंगा।

6- चंद्रयान-2 को बाहुबली रॉकेट से चांद पर भेजा जाएगा। इस रॉकेट का नाम GSLV Mk 3 है। इसे बाहुबली रॉकेट के नाम से जाना जाता है। ये सबसे ताकतवर रॉकेट में से एक है। इसकी लंबाई 44 मीटर है और इसका वजन 640 टन है।7- चंद्रयान-2 यान भी अपने आप में बहुत खास हैं। इस यान का वजन 3800 किलो है। इसका पूरा खर्च 603 करोड़ रुपय है। चंद्रयान में 13 पेलोड हैं। इसमें भारत के 5,यूरोप के 3, अमेरिका के 2 और बुल्गारिया का 1 पेलोड शामिल है। चंद्रयान-2 में 3 मॉडयूल भी है।

8- इनका नाम आर्बिटर,लैंडर और रोवर रखा गया है। लैंडर का नाम इसरो के जनक डॉक्टर विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है। जिस वक्त यह मिशन लॉन्च हुआ उस समय 250 से ज्यादा वैज्ञानिक इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर में मिशन पर निगरानी रख रहे थे।

9- ऑर्बिटर

वजन- 2379 किलो

मिशन की अवधि - 1 साल

आर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसका काम चांद की सतह का निरीक्षण करना और खनिजों का पता लगाना है। इसके साथ 8 पेलोड भेजे जा रहे हैं, जिनके अलग-अलग काम होंगे। इसके जरिए चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने की कोशिश होगी। बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाया जाएगा। बाहरी वातावरण को स्कैन किया जाएगा।

10- लैंडर (विक्रम)

वजन- 1471 किलो

मिशन की अवधि - 15 दिन

इसरो का यह पहला मिशन है, जिसमें लैंडर जाएगा। लैंडर आर्बिटर (विक्रम) से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह 2 मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। विक्रम लैंडर के अलग हो जाने के बाद, यह एक ऐसे क्षेत्र की ओर बढ़ेगा जिसके बारे में अब तक बहुत कम खोजबीन हुई है। लैंडर चंद्रमा की झीलों को मापेगा और अन्य चीजों के अलावा लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा।

11- रोवर (प्रज्ञान)

वजन- 27 किलो

मिशन की अवधि - 15 दिन (चंद्रमा का एक दिन)

प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करेगा। रोवर के लिए पावर की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए इसे सोलर पावर उपकरणों से भी लैस किया गया है।

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