चंद्र ग्रहण चंद्र ग्रहण से लौटती बेर कविता में ढोंगी किसे कहा गया
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दूँ हृदय का दान उसको। चंद्र गहना से लौटती बेर भावार्थ:- इन पंक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल जी ने अलसी के पौधों का मानवीकरण किया है। ... इसलिए कवि ने उसे यहाँ देह की पतली और कमर की लचीली कहा है।
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