Hindi, asked by yrv749, 7 days ago

चंद्र गहना से लौटती बेर भावार्थ​

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Answered by sheelajain18628
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चंद्र गहना से लौटती बेर भावार्थ:- कवि जहाँ बैठकर गांव के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ़ उठा रहे हैं, वहीं से कुछ दूर जाकर भूमि ऊँची हो गई है, जिसके पार देखा नहीं जा सकता। उस ऊँची उठी भूमि के दूसरी तरफ ही रेल की पटरी बिछी हुई है। वहीं कहीं रेलवे स्टेशन है, जहाँ से कवि वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ने वाले हैं।

Answered by labparso
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चंद्र गहना से लौटती बेर भावार्थ:- कवि जहाँ बैठकर गांव के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ़ उठा रहे हैं, वहीं से कुछ दूर जाकर भूमि ऊँची हो गई है, जिसके पार देखा नहीं जा सकता। उस ऊँची उठी भूमि के दूसरी तरफ ही रेल की पटरी बिछी: है। वहीं कहीं रेलवे स्टेशन है, जहाँ से कवि वापस जाने के लिए ट्रेन पकड़ने वाले हैं

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