चंद्र गहना से लौटती बेर पर सारांश
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चंद्रगाहना से लौटती बेर कविता के कवि केदारनाथ अग्रवाल हैं | इस कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है | प्रस्तुत कविता में कवि का प्रकृति के प्रति गहन अनुराग व्यक्त हुआ है। वह चंद्र गहना नामक स्थान से लौट रहा है। लौटते हुए उसके किसान मन को खेत-खलिहान एवं उनका प्राकृतिक परिवेश सहज आकर्षित कर लेता है।
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