चंद्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था की विशेषताएं लिखिए
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चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए। (1) सम्राट, साम्राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था। ... इनका शासन राजकुमार तथा राजपरिवार के व्यक्तियों द्वारा होता था। (7) नगरों का प्रबन्धन करने हेतु छः समितियाँ होती थीं, प्रत्येक में पाँच-पाँच सदस्य होते थे।
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- चन्द्रगुप्त मौर्य की गणना भारत के महानतम् शासकों में की जाती है। इसी के समय में भारत में सर्वप्रथम राजनीतिक एकता स्थापित हुई। चन्द्रगुप्त के शासन प्रबन्ध का ज्ञान हमें मैगस्थनीज की 'इण्डिका' तथा कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' से होता है। उसके शासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं
(1) सम्राट, साम्राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था। वह सेना, न्याय-व्यवहार का प्रधान होता था। वह प्रजा-हित के कार्यों में संलग्न रहता था।
(2) राजा की सहायता हेतु मन्त्रिपरिषद् थी।
(3) गुप्तचर न्याय व्यवस्था एवं सैन्य संगठन सुदृढ़ था।
(4) भूमिकर राज्य की आय का प्रमुख साधन था। उपज का 1/6 भाग कर रूप में लिया जाता था।
(5) कर एकत्र करने वाला अधिकारी 'समाहर्ता' कहलाता था।
(6) साम्राज्य प्रान्तों में विभाजित था। इनका शासन राजकुमार तथा राजपरिवार के व्यक्तियों द्वारा होता था।
(7) नगरों का प्रबन्धन करने हेतु छः समितियाँ होती थीं, प्रत्येक में पाँच-पाँच सदस्य होते थे।
(8) सैन्य संगठन सुदृढ़ था। इसकी देखरेख 6 समितियों द्वारा होती थी। ये समितियाँ-नौ सेना समिति, पदाति सेना समिति, अश्व सेना समिति, रथ सेना समिति, गज सेना समिति, यातायात व युद्ध सामग्री वाहिनी समिति थी।
(9) चन्द्रगुप्त के शासन में दण्ड-विधान कठोर था।
(10) कौटिल्य के अर्थशास्त्र से ज्ञात होता है कि तत्कालीन समय में दो प्रकार के न्यायालय विद्यमान थे। पहला धर्मस्थीय (दीवानी) न्यायालय, दूसरा कंटक शोधन (फौजदारी) न्यायालय।