चंद्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण कियाamswer
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हिमाचल में गणेश चतुर्थी और पत्थर चौथ: आज चांद देखा तो लगेगा कलंक!
Ganesh Chaturthi: भगवान गणेश को जब हाथी (Elephant) का सिर लगाया गया था तो उसके बाद चंद्रमा (Moon) ने उनका मज़ाक उड़ाया. चंद्रमा को अपने सौंदर्य, अपनी खूबसूरती पर बहुत अभिमान था. उनके अभिमान (Proud) को भंग करने के लिए गणेश जी ने उन्हें शाप दिया था कि जो भी तुम्हें देखेगा, उसे कलंक लगेगा.
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गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं.
रेशमा कश्यप
शिमला. देश भर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्यौहार शनिवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं, अगर आज आप चांद को देखोगे तो आप पर झूठा कलंक लगता है. पुराणों के अनुसार, आज गणेश जी (Lord Ganesha) का जन्म हुआ था. घरों में आज के दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति (Idol) को स्थापित करते हैं. 9 दिन तक घर में भगवान गणेश की पूजा की जाती है और नवें दिन पूरी धूमधाम के साथ भगवान गणेश की मूर्ति को पानी में विसर्जित किया जाता है.
क्या है मान्यता
कहा जाता है कि भगवान गणेश को जब हाथी का सिर लगाया गया था तो उसके बाद चंद्रमा ने उनका मज़ाक उड़ाया. चंद्रमा को अपने सौंदर्य, अपनी खूबसूरती पर बहुत अभिमान था. उनके अभिमान को भंग करने के लिए गणेश जी ने उन्हें शाप दिया था कि जो भी तुम्हें देखेगा, उसे कलंक लगेगा. बाद में चंद्रमा को अपनी ग़लती का एहसास हुआ तो उन्होंने गणपति जी से क्षमा याचना की. उसके बाद गणेश जी ने प्रसन्न होकर उन्हें इस शाप से मुक्त करते हुए कहा कि इसका प्रभाव केवल भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को रहेगा.
पत्थर मारने की प्रथा
हिमाचल के कई स्थानों में इस दिन को पत्थर चौथ के रूप में भी मनाया जाता है. पत्थर चौथ वाली रात को लोग एक-दूसरे की छत पर पत्थर मारकर इस दिन चांद देखने के कलंक को दूसरे को गालियां देकर हटाते हैं. शिव मंदिर के पंडित वासुदेव शर्मा ने बताया कि इस दिन अगर कोई गलती से चांद देख लेता है तो पुराने समय में लोग एक दूसरे की छत पर पत्थर फेंकते थे. पुराने वक्त में घर की छत या तो टीन की बनी होती थी या स्लेट लगी होती थीय घर की छत पर पत्थर फेंकने से जोर से आवाज लोगों को सुनाई देती थी. आवाज सुनने पर लोग पत्थर फेंकने वालों को गालियां देते थे माना जाता था है कि इससे लोगों का कलंक हट जाता था.
ऐसे भी मिट सकता है कलंक
आधुनिक समय में यह सारी प्रथाएं धीरे धीरे गुम होती जा रही हैं और इसका महत्व भी खत्म होता जा रहा है. हालांकि, पंडित से गणेश पूजा करने के बाद सामन्तक मणि की कथा सुनने के बाद इस कलंक के असर को खत्म किया जा सकता है. कोरोना के चलते मंदिरों को बंद रखा गया है इसलिए मंदिर जाकर गणेश पूजा करना संभव नहीं है, इसलिए घर पर ही रह कर अगर कृष्ण जी सामन्तक मणि की कथा पढ़ेंगे तो कलंक से बचा जा सकता है.
जब श्रीकृष्ण भगवान पर लगा कलंक
कहा जाता है कि एक बार गणेश चतुर्थी पर दिन भगवान श्री कृष्ण को गाय का दूध निकालते समय गोमूत्र में चांद दिख गया था. परिणामस्वरूप उन पर समयंतक मणि की चोरी का झूठा कलंक लगा. भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस दिन चांद देखा था, तो उन पर भी झूठा कलंक लग गया था. सत्राजित यादव ने सूर्य भगवान की तपस्या कर उनसे समयंतक मणि प्राप्त की थी, जिसका प्रकाश सूर्य के समान था. वह प्रतिदिन पूजा के बाद स्वर्ण प्रदान करती थी. एक दिन उस मणि को धारण कर सत्राजित श्रीकृष्ण के दरबार में गया तो लोगों ने श्री कृष्ण से कहा कि भगवान सूर्य आपके दर्शनों को पधारे हैं. श्रीकृष्ण ने कहा कि यह तो सत्राजित है. वास्तविकता पता चलने पर लोगों ने सत्राजित से वह मणि राजा उग्रसेन को सौंपने का आग्रह किया, परंतु उसने इन्कार कर दिया.
ऐसे लगा झूठा दोष
एक दिन सत्राजित का छोटा भाई प्रसेन उस मणि को गले में डाल जंगल में गया. वहाँ एक शेर ने उसे मार कर मणि ले ली. आगे चल कर शेर को रीछ जामवंत ने मार डाला और मणि ले जाकर अपनी बेटी को दे दी. उधर प्रसेन के घर न लौटने पर सत्राजित ने अपनी पत्नी से शंका ज़ाहिर की कि मणि की ख़ातिर श्री कृष्ण ने मेरे भाई को मार दिया है. इस तरह धीरे यह बात श्री कृष्ण की पटरानी तक पहुंची और पटरानी से श्री कृष्ण तक. आरोप को सुनकर भगवान श्री कृष्ण कुछ लोगों को साथ लेकर प्रसेन की तलाश में गए. जंगल में उन्हें प्रसेन का शव दिखा और शेर के पैरों के निशान नज़र आए.
जंगल में पहुंचे भगवान श्रीकृष्ण
पैरों के निशानों का पीछा करते हुए वे आगे बढ़े तो थोड़ा आगे जाकर उन्होंने शेर को भी मृत पाया. पुन: वे रीछ के पैरों के निशानों का पीछा करते हुए एक गुफा के पास पहुँचे. श्री कृष्ण ने अपने साथियों से गुफा के बाहर इंतज़ार करने को कहा और यह भी कहा कि 15 दिनों तक मैं न आऊँ तो आप लोग वापिस लौट जाएं और मुझे मृत समझ लिया जाए. गुफा के भीतर प्रवेश कर श्री कृष्ण ने वहां जामवंत की बेटी को मणि के साथ खेलते देखा. वे उससे मणि लेने लगे तो बेटी ने जामवंत को आवाज़ दी. उस मणि के लिए दोनों में 27 दिनों तक रात-दिन युद्ध हुआ. हार मानकर जामवंत ने अपनी बेटी जामवंत श्री कृष्ण को ब्याह दी और मणि उपहार में श्री कृष्ण को सौंप दी.
मणि सत्राजित को वापिस लौटाई
इस प्रकार वापिस आकर श्री कृष्ण ने वह मणि सत्राजित को वापिस लौटा कर खुद पर लगे झूठे कलंक से मुक्ति पाई और बताया कि भाद्र चतुर्थी (चौथ का चांद) का चांद देखने के कारण मुझ पर यह झूठा कलंक लगा था. यह भी कहा कि अगर कोई ग़लती से भादों की चौथ का चांद देख ले तो उसे मणि की इस कथा का श्रवण या पाठ कर लेना चाहिए तो कलंक दूर हो जाएगा और भगवान गणेश प्रसन्न हो जाएंगे.