चाँद से जुड़ी कविताओं के बारे में जानकारी हिंदी मे
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* कल पिघलती चांदनी में देखकर अकेली मुझको तुम्हारा प्यार चलकर मेरे पास आया था चांद बहुत खिल गया था। आज बिखरती चांदनी में रूलाकर अकेली मुझको तुम्हारी बेवफाई चलकर मेरे पास आई है चांद पर बेबसी छाई है। कल मचलती चांदनी में जगाकर अकेली मुझको तुम्हारी याद चलकर मेरे पास आएगी चांद पर मेरी उदासी छा जाएगी। * शरद की बादामी रात में नितांत अकेली मैं चांद देखा करती हूं तुम्हारी जरूरत कहां रह जाती है,
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